बुधवार, 22 अप्रैल 2009

शरद आलोक द्वारा अनुदित हेनरिक इबसेन के नाटकों 'मुर्गाबी' और 'गुरिया का घर' का का विमोचन लखनऊ, भारत में

शरद आलोक द्वारा रचित १९८४ में लिखी कविताओं का संग्रह 'रजनी' (२००९) और हेनरिक इबसेन के अनुदित नाटकों: 'गुरिया का घर' तथा मुर्गाबी का लोकार्पण उत्तर प्रदेश हिन्दी संसथान के निदेशक सुधाकर अदीब ने अनेक लेखकों के साथ लखनऊ विश्व विद्यालय के डी पी ऐ सभागार में
आज २२ april २००९ को
अपरान्ह ४ बजे करेंगे।
आप आमंत्रित हैं।
कार्यक्रम का संचालन और दोनों नाट्य कृतियों का भावपूर्ण पाठ करेंगे डा कृष्ण श्रीवास्तव । डा रामाश्रय सविता 'रजनी' के बारे अपने विचार देंगे। इसे एक प्रगीत काव्यसंग्रह है इसे किसी भी वाद में baandhna मुमकिन naheen है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रेमशंकर तिवारी karenge।
पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष डा रमेशचंद्र त्रिपाठी, प्रो राकेश चंद्रा, डा उषा सक्सेना, प्रो हरिशंकर मिश्रा, प्रो योगेन्द्र प्रताप सिंह और अन्य लोगों ने अपने विचार रखे और लेखक को purv ही शुभकामनाएं दी हैं।
सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने हेनरिक इबसेन को आधुनिक नाटकों का पितामह बताया। उन्होंने यह pustak men लिखा । भविष्य में एक नाटककार होने का सपना दिल में छिपाए हैं। लेखक का कार्य है लिखना, अध्यापक का कार्य है उसे समझाना और आलोचक का कार्य है उसकी समीक्षा करना।
आप सभी saadar amantrit हैं ।
lokarpan के karykram को हिन्दी vibhag lakhnau vishva vidyalaya के saujanya से किया जा रहा है।
- जय prakash

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