पुरस्कार समारोह के बाद एक सामूहिक चित्र, स्तिक इन्नोम, वाईतवेत सेंटर, ओस्लो में
शांति के लिए सर्वांगीण शिक्षा जरूरी - जगदीश गाँधी
आज के गांधी जगदीश गाँधी
ओस्लो, नार्वे में पुरस्कृत.
बाएं से भारतीय दूतावास के प्रथम सचिव दिनेश कुमार नंदा, श्रीमती नंदा, जगदीश गाँधी पुरस्कार ग्रहण करते हुए दायें स्थानीय मेयर थूर स्ताइन विन्गेर से और सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक '
शांति के लिए सर्वांगीण शिक्षा जरूरी - जगदीश गाँधी
अपने जीवन को अपने सत्कर्मों से आकाश तक छूने वाले महान समाजसेवी डॉ. जगदीश गाँधी जी को वाईतवेत, ओस्लो नार्वे में संस्कृत-पुरस्कार से सम्मानित किया गया. स्थानीय मेयर थूरस्ताइन विंगेर ने भारतीय- नार्वेजिय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, नार्वे की ओर से संस्कृति-पुरस्कार प्रदान किया. श्रीमती नंदा जी ने प्रमाणपत्र दिया और भारतीय दूतावास ओस्लो के प्रथम सचिव दिनेश कुमार नंदा जी ने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया.
श्रीमती भारती गाँधी जी से मेरी पहली मुलाकात सन १९७१ में हुई थी. आदरणीय दीदी भारती गाँधी जी ने मेरी मुलाकात डॉ. जगदीश गाँधी से कराई थी. जगदीश गांधी लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य और सिटी मोंटेसरी स्कूल लखनऊ और अनेकों संस्थाओं के संस्थापक हैं. सन १९७१ में जब वह पुराणी श्रमिक बस्ती, ऐशबाग लखनऊ में युवक सेवा संगठन द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं. और उन्होंने कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था. फिर सन १९७२ से १९७४ तक डॉ जगदीश गांधी जी से संपर्क बना रहा.
जगदीश गांधी एक कर्मयोगी हैं और वह युवापीढी के लिए प्रेरणा हैं. उनका जीवन संघर्ष किसी को भी ऊँचाइयों तक ले जा सकता है. बशर्ते वह व्यक्ति अपने संघर्ष और सेवा भाव में पूरी निष्ठां और दृढता से जुड़ा रहे.
जगदीश गांधी ने बच्चों की शिक्षा पर एक बहुत सारगर्भित व्याख्यान दिया. मुझे ऐसा लगा कि सन १९७४ से कोई महान बिछड़ा भाई मिल गया हो. ऐसे महान व्यक्तित्व को बार-बार शीश झुकाने को मन करता है.
जगदीश गाँधी के साथ सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' कार्ल युहान सड़क ओस्लो पर जहाँ पीछे पार्लियामेंट भवन दिखाई दे रहा है.
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