रविवार, 4 मार्च 2012

अमरीका में हमारे सांस्कृतिक दूत शेर बहादुर सिंह -शरद आलोक

अमरीका में हमारे सांस्कृतिक दूत शेर बहादुर सिंह -शरद आलोक

सबसे पहले मैं भाई डॉ मनोज जी को बधाई देता हूँ कि जिन्होंने शेर बहदुर सिंह जी के अभिनन्दन ग्रन्थ का सम्पादन आरम्भ किया है.  ऐसे कर्मठ हिन्दी सेवी शेर बहादुर सिंह के जीवन पर इस ग्रन्थ द्वारा विस्तृत सामग्री पाठकों के सामने आयेगी और लोग उससे लाभान्वित होंगे.

वृक्ष कबहु नहीं अल भखे, नदी न संचै नीर 
परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर..

कबीर दास जी की इन पंक्तियों को  सही रूप में अमेरिका में बसे श्री शेर बहादुर सिंह जी के जीवन को चरित्रार्थ कर रही हैं .  शेर बहादुर सिंह अमेरिका सन  १९७८ को भारत से अमेरिका आ गये थे. वहीं अपने परिवार के साथ बस गये हैं.  आपको अमरीकी प्रदेश न्यूयार्क या  न्यूजर्सी में ही नहीं अपितु पूरे अमेरिका में भारतीय लोग जानते हैं.  एक बड़ी संख्या है उन भारतीय लोगों की जो नये -नये अमरीका  में आये थे और स्थापित होने का प्रयास कर रहे थे तथा सहयोग की कामना कर रहे थे उन्हें न केवल स्वयं शेर बहादुर सिंह ने यथा संभव अपने तन-मन-धन  से सहायता की बल्कि उन्हें नौकरी दिलाने के लिए रास्ते भी बताये.
आम तौर पर लोग जीवन यापन के लिए विदेश आते-जाते रहते हैं. धन कमाने और शिक्षा यापन के लिए. पर शेर बहादुर सिंह केवल अमेरिका में बसकर भी अपनी सभ्यता और संस्कृति की सेवा कर रहे हैं जो बहुत प्रशासनीय है.   

युवाओं जैसे  जोश से भरा व्यक्तित्व
आपसे किसी भी आयु का व्यक्ति बातचीत में सहजता महसूस होता है. आप मिलने वाले उसकी आयु और स्थिति का ध्यान  तो करते ही हैं साथ ही उसका समय बर्बाद नहीं करते.  किसी प्रकार की समस्या या अड़चन हो उससे निपटने और उसे निपटाने  के लिए युवाओं की तरह तत्पर रहते है.
मुझे शेर बहदुर सिंह जी की शादी की जुबली में सम्मिलित होने  का अवसर मिला था. इनके बेटे ने इस  उत्सव का आयोजन सागर तट पर बने एक  बड़े सुन्दर रेस्टोरेंट में किया था जिसमें पूरे अमरीका से साहित्यिक प्रेमी, परिवार और मित्रजन आये थे.  लेखिका पूर्णिमा गुप्ता १२ घंटे कार चलाकर वहां आयी थीं. देवेन्द्र सिंघ्न्यु जर्सी से आये थे. जिसमें नृत्य के लिए युवा माडलों ने भी उत्सा की सरगर्मी में चार चाँद लगाये थे.  यह एक न भूलने वाला पारिवारिक कार्यक्रम था
सबके प्रिय शेर बहादुर सिंह जी
शेर बहादुर सिंह अमरीका और भारत मरण सभी के प्रिय हैं. जो एक बार आपसे मिलता है आपसे जरूर प्रभावित होता है.
अपने समाज से लेकर समस्त भारतीयों के सांस्कृतिक, धार्मिक और साहित्यिक समाज के लोग केवल शेरबहादुर सिंह जी को जानते ही नहीं हैं अपितु आपके कार्य के प्रशासक हैं.  लोग इनका उदहारण देते हैं कि 'मनुष्य हो तो शेरबहादुर सिंह जैसा.' कर्मठ समाजसेवी हो तो इनके जैसा.  जहाँ भारत देश की बात आती है तो उसके सम्मान के खिलाफ कोई समझौता नहीं करते भले ही वह कोई हो वह स्पष्ट कह देते हैं कि यह उन्हें सहनीय नहीं है.  यही कारन है कि अनेक अन्स्कृतिक, धार्मिक और साहित्यिक संस्थाओं ने आपको अपना नेता चुना. आपने अपने को कभी नेता न समझते हुए, सभी को समान समझते हुए सभी को आदर देते हैं और उसका सम्मान करते हैं.
इसीलिये आप अमरीका में रहने वाले भारतीयों बड़े उदार, कर्मठ और पुरुषार्थी के रूप में भी प्रतिष्ठा पाते हैं. 
आपके पास अनेक संस्थाओं के अनेक महत्वपुर्ण पद रहे पर आपने कभी घमंड नहीं किया. और किसी के भी आग्रह पर आप उसके पास जाकर उसकी परेशानी सुनते थे और उसे हल कारने का प्रयास करते थे.
साहित्यकारों का बहुत सम्मान
आप साहित्यकारों का बहुत सम्मान करते हैं इसीलिए अमरीका में आपके घर पर बहुत से साहित्यकार आकर रुकते हैं और उनका घर साहित्य गोष्ठियों से भर जाता है. में बस गये हैं.  वह अपने परिवार के साथ रहते हुए अपना संस्कृति और हिन्दी सेवा में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
मुझे अनेकों बार अमरीका में आने का अवसर प्राप्त हुआ और हर बार शेर बहादुर सिंह जी से मिला. इनके घर पर भी अनेकों बार रुका.  इनका पूरा परिवार भारतीय संस्कृति को समर्पित है. सातवे विश्व हिन्दीसम्मेलन न्यूयार्क के बाद मैं आपके घर पर डॉ. दो दिन उज्जैन के विद्वान हरिमोहन बुधौलिया के साथ रुका था.  साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्मरणों और कवता कहानी का ऐसा दौर चलता कि रात के दो और तीन बज जाते थे.
साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन
अमरीका में हर वर्ष आपकी संस्था अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति  अमेरिका के विभिन्न प्रदेशों में कविसमेलन आयोजित करती है जिसका और भारत से अनेक साहित्यकारों को आमंत्रित करती है. इस तरह वर्षों से कविता के माध्यम से अमेरिका में हिन्दी का प्रचार प्रसार हो रहा है.  आप इस संस्था के पदाधिकारी हैं और अपने घर पर कवियों को रकते हैं और सम्मान करते हैं.  अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति  अमेरिका की स्थापना स्व. कुंवर चन्द्र प्रकाश सिंह ने की थी और आजकल कुंवर चन्द्र प्रकाश सिंह के सुपुत्र डॉ रवी प्रकाश सिंह भी इससे जुड़े हुए हैं.
आपने स्वयं संस्था के माध्यम से दर्जनों कवी सम्मलेन भारतीय दूतावास और  सार्वजानिक स्थानों पर आयोजित किये हैं.
विश्व हिन्दी सम्मलेन में महत्वपूर्ण भूमिका
आप विश्व हिन्दी सम्मलेन में आयोजन समिति के सदस्य थे तथा स्थानीय यात्रा संबंधी सुविधा को सम्मलेन में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों को दिलाना आपकी जिम्मेदारी थे जिसे आपने बहुत ख़ूबसूरती से निभाया था आपको इसके लिए भारतीय विद्या भवन और दूतावास ने सम्मानित भी किया था.
अध्यापन में महत्वपूर्ण योगदान
आपने ११ वर्षों तक न्यू यार्क शिक्षा बोर्ड में कार्य किया और  महत्वपूर्ण सेवा की.  भारत में आप पहले २३ वर्षों तक माधवराव सिंधिया व्यास कालेज में भी कार्यरत रहे. आप पहली पारी के एक दशक से अधिक प्रधानाचार्य भी रहे. एन सी सी प्रशिक्षण और छात्रावास प्रबंधन में भी बहुत महत्वपूर्ण  भूमिका निभायी और सभी की प्रशसा के पात्र बने.

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