मंगलवार, 6 मार्च 2012

संगीता का जन्मदिन और भारत में पांच प्रदेशों के चुनाव परिणाम का उत्सव- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
मेरी पुत्री संगीता का आज जन्म दिन है. हम  सभी परिवार जनों ने प्रातःकाल संगीता का जन्मदिन मनाया. संगीता की माँ माया भारती  भी जन्मदिन मनाने में  बड़े उत्साह से इंतजाम में लगी थी. संगीता का जन्म लखनऊ, भारत में वह भी  घर पर ही  हुआ था. एक महिला  चिकित्सक और  नर्स की देखरेख में हुआ था.  ६ मार्च को  मेरे पिताजी श्री बृजमोहन लाल शुक्ल बहुत प्रसन्न थे.  उन्होंने घर पर सभी इंतजाम कर रखे थे और इस बात का भी ध्यान रखा था की यदि कोई इमरजेंसी हुई तो उससे कैसे निपटना है उसका भी ध्यान रखे हुए थे. लखनऊ में अपने ८ मोतीझील ऐशबाग रोड,  पर  स्थित निवास पर चहल-पहल बढ़ गयी थी. 
अब संगीता के अपने दो होनहार बच्चे हैं आलेक्संदर अरुण और निकीता तथा पति रोई थेरये के साथ मेरे नार्वे में निवास के समीप बने अपने घर पर रहती है. यह देखकर ख़ुशी होती है कि संगीता ने अपनी भाषा और संस्कृति को स्वयं भी अपनाया है और अपने बच्चों को भी सिखा रही है. नार्वे में हिन्दी सिखाने के लिए हिन्दी स्कूल भी खोला है जहाँ बहुत से भारतीय और नार्वेजीय बच्चे हिन्दी और संस्कृति की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
विक्रम सिंह ने अपनी पुस्तक 'सूरज चांदनी रात में' संगीता के सांस्कृतिक कार्यों  का उल्लेख  किया है.  विक्रम सिंह की इस पुस्तक को अनेकों जगह सम्मानित भी किया गया है उन्हें बधाई.
चुनाव का जश्न  
नार्वे में प्रवासी भारतीयों में  विभिन्न प्रदेशों के लोग हैं. इनमें उतरांचल,  उत्तर प्रदेश, पंजाब और गोवा के रहने वाले भी शामिल हैं. अतः इन प्रदेशों में चुनाव परिणामों से लोगों में उत्सुकता है यह जानने की किसकी सरकार  बनेगी और कौन-कौन उमीदवार जीता है.
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को  नेताजी मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में ४०३ में २२४  सीटें पर जीत मिली है जिसके उत्तर प्रदेश में युवा नेता अखिलेश सिंह यादव अध्यक्ष हैं. दलित नेता और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ८० सीटें जीत कर अभी भी दूसरे स्थान पर हैं.  भारतीय जनता पार्टी को ४५ सीटें मिली हैं. जबकि कांग्रेस को  २८  सीटें ही मिलीं.   
मुलायम  सिंह यादव हिन्दी प्रेमी हैं  
मुझे स्मरण है कि  जब  मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए थे तब उन्होंने उत्तर प्रदेश में सरकारी कामकाज में हिन्दी का प्रयोग बढाया था. मेरी पहली मुलाकात मुलायम सिंह यादव जी से लखनऊ में हुई थे जब वह उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान में मेरे प्रिय साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा का उद्घाटन करने आये थे.  मैं उस समय वहां उपस्थित था और मैंने उन्हें अपनी काव्य पुस्तक भेंट की थी. उस समय उपन्यासकार मृणाल पाण्डेय, डॉ. रमा सिंह भी उपस्थित थीं.
मायावती जी अपने प्रदेश के साहित्यकारों का सम्मान  नहीं करती हैं
और मायावती जी के चुनाव हारने की एक वजह यह भी है कि वह साहित्यकारों का सम्मान नहीं करतीं. किसी भी प्रदेश की भाषा और साहित्य के प्रचार -प्रसार और प्रोत्साहन की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार  की होती है, पर बहन मायावती जी ने संस्थान के तीन पुरस्कारों को छोड़ सभी पुरस्कारों को  समाप्त  कर दिया था. बड़ा अटपटा था उनका निर्णय. पहले पुरस्कार समिति बनायी गयी उत्तर प्रदेश के  सरकार के आदेश पर जब समिति ने अपना निर्णय संस्थान को दिया तो सरकार ने उसे निरस्त कर दिया.  आशा है मायावती जी इस चुनाव से सबक लेंगी. 
भारतीय जनता पार्टी के राज्य के समय में भी उसके कुछ तत्कालीन स्वार्थी नेता  भी प्रदेश में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पुरस्कार उसके अध्यक्ष बनकर और उपाध्यक्ष बनकर पहले  स्वयम लिए और साथ ही अपने रिश्तेदार और दोस्तों को बांटे थे. अब ऐसा नहीं होगा ऐसी आशा करनी चाहिए. 
दूसरा कि उत्तर प्रदेश सरकार बहुत समय से प्रवासी सम्मेलनों, प्रवासी दिवस आदि पर अपनी जोरदार उपस्थिति नहीं दिखा सकी है और जो उपस्थिति दिखाई भी तो अपने वायदों से भी मुकर गयी थी. यह मेरा अनुभव है. मैंने इसे  नजदीक  से देखा  है. आशा है कि उत्तर प्रदेश की नयी  सरकार  और इसके नेता अपने प्रदेश को खुशहाल बनाने और प्रगति के लिए दिए गए सुझाव को गंभीरता से लेंगे और उस पर कार्य कर प्रदेश को देश के   अधिक प्रगति वाले प्रदेशों में सम्मिलित करायेंगे. यदि प्रदेश को मेरी किसी प्रकार  की मदद की आवश्यकता हुई तो मैं तत्पर हूँ पर सहयोग  दोनों  तरफ  से होना  चाहिए. साहित्य और सांस्कृतिक विकास के लिए प्रदेश की सेवा के लिए तत्पर हूँ. 
पंजाब, उतरांचल  और गोवा में भारतीय जनता पार्टी दोबारा जीती
पंजाब और उत्तराँचल में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा. यहाँ इस पार्टी  के नेताओं  के जमीन से जुड़े होने के कारण विजय मिली  हैं. उत्तर प्रदेश और उत्रन्न्चल के मंत्री और मुख्य मंत्री रहे  रमेश पोखरिआल निशंक मुझे जनवरी २०११ में दिल्ली में प्रवासी फिल्म महोत्सव दिल्ली में मिले थे और  एक विवाहोत्सव पर दिसंबर २०११ में देहरादून दूसरी बार मिले थे. 
पंजाब में अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी ने ६४ सीटें  जीती हैं और ४६ सीटें जीतकर कांग्रेस चुनाव हार गयी है.  ४५ वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब किसी पार्टी को लगातार दोबारा जनता ने जिताया है. 
पंजाब के नेता हर वर्ष नार्वे आते हैं.  कांग्रेस, अकाली और भारतीय जनता पार्टी सभी पार्टियों के नेता यहाँ आने वालों में शामिल हैं .

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