रविवार, 11 मार्च 2012

हिन्दी स्कूल नार्वे में होली

हिन्दी स्कूल नार्वे में होली पर्व धूमधाम से मनाया गया. - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद अलोक'

८ मार्च को होली थी. अपने परिवार के साथ ८ मार्च को होली मनाई.  हालाँकि भारत में जिस तरह लखनऊ में होली मनाते थे वैसा तो नहीं मना पाए परन्तु औपचारिक तौर पर की हम होली को नहीं भूले हैं उसे आंशिक तौर पर मनाया, हाँ यह जरूर हुआ पकवान और खानपान के हिसाब से कोई कमी नहीं रही.  चाहे खोये की गुझिया हो, आलू और साबूदाने के पापड हों, पुआ हो, कचौड़ियाँ हों या अन्य मिठाई और नमकीन. सभी कुछ मिला पर वह भारत की सोंधी मिटटी की खुशबू और वह वातावरण नहीं मिला. पर किसी संतकवि ने कहा है. 'अपन मन चंगा तो कटौती में गंगा'.  अतः जो साधन और सुविधाएं उपलब्ध थीं वह घर में होली को मनाने  में सहयोग करती रहीं.

हिन्दी स्कूल नार्वे में होली

शनिवार १० मार्च को अवकाश के दिन ओस्लो में वाइतवेत कल्चर सेंटर में हिन्दी स्कूल के विद्यार्थियों, अध्यापकों और अविभावकों के संग होली धूमधाम रंग, हुडदंग, नांच संगीत के संग मनाई गयी.
इसमें वे पानी के रंग प्रयोग किये गए जो आँखों के लिए भी हानिकारक नहीं थे और आसानी से पानी से धोने से छूट भी जाते हैं.  बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी ने मिलकर होली मनाई. इस अवसर पर हिन्दी के विद्यार्थियों ने एक नाटक भी खेला जो व्यंग्यात्मक था.  नाटक में अभिनय करने वाले बच्चों को पुरस्कार प्रदान किया सुरेशचन्द्र शुक्ल ने.   इस स्कूल की अध्यापिकाओं में संगीता शुक्ल सीमोनसेन, तरु वान्गेन, राखी चोपड़ा शर्मा,
नेहा चोपड़ा सिष्टी,सपना रस्तोगी के अलावा अलका भरत थीं.  

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