सोमवार, 19 मई 2014

जबलपुर की दो साहित्यिक यात्राएं- Suresh Chandra Shukla

जबलपुर की दो साहित्यिक यात्राएं  कर चुका हूँ. दूसरी यात्रा में जबलपुर में १२ और १३ मार्च को  एक साहित्यिक सम्मलेन में भाग लिया था. प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल और उनके साथियों का सहयोग और स्नेह न भूलने वाला था। 





















यह शहर मुझे वास्तविक संस्कारधानी लगता है. यहाँ एक प्रदर्शनी देखकर पता चला की यहां बहुत अधिक पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य हुआ है और बहुत से सफल और नामचीनी पत्रकारों का कर्म क्षेत्र रहा है. इन दोनों यात्राओं में यहाँ के साहित्यिक मर्मज्ञों, नए लेखकों तथा युवाओं से मुलाक़ात हुयी है. उनकी रचनाएं सूनी, पढ़ीं है और कुछ रचनाएं अपनी पत्रिका स्पाइल-दर्पण में प्रकाशित भी की है. जबलपुर को मैं अपना भी साहित्यिक विरासत का हिस्सा मानने लगा हूँ.
 

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