मंगलवार, 4 अगस्त 2015


सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' को  'विदेश हिन्दी प्रसार सम्मान' पुरस्कार देने की घोषणा 

4 अगस्त। ओस्लो, नार्वे।  
नार्वे निवासी सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने नार्वे में की गयी हिन्दी सेवा के लिए 'विदेश हिन्दी प्रसार सम्मान' पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की है. शरद आलोक जी नार्वे की. राजधानी ओस्लो से स्पाइल-दर्पण नामक पत्रिका गत ३५ वर्षों से हिंदी और नार्वेजीय भाषाओं में निकालते हैं. सुरेशचन्द्र  शुक्ल जी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समाचारपत्र देशबन्धु के यूरोप एडिटर भी हैं . इनकी कहानियों पर  आधारित पांच टेलीफिल्मों का निर्माण भी हुआ है जिनमें  टेलीफिल्म : तलाश , नार्वे और कनाडा की संयुक्त फिल्म ‘कनाडा की सैर’ ,आतंकवाद पर आधारित हिंदी लघुफिल्म ‘ गुमराह ‘ बन चुकी है . एक शिक्षाविद के रूप में भी उनकी पहचान है 
विदेशों में जिन लोगों ने हिन्दी साहित्य और संस्कृति की सेवा की उनमें सुरेशचन्द्र शुक्ल  'शरद आलोक' का नाम अग्रणी है जिन्होंने हिन्दी भाषा में आठ कविता संग्रह, दो नाटक संग्रह, तीन कहानी संग्रह, एक उपन्यास और बहुत सी नार्वे, स्वीडेन और डेनमार्क  की अनेक प्रसिद्द पुस्तकों का अनुवाद हिन्दी में किया है.
इसी वर्ष इन्हें मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी ने इनकी काव्य-पुस्तक 'गंगा से ग्लोमा तक' को 
9 फरवरी 2015 को भोपाल में पुरस्कृत किया था.
इनकी चर्चित काव्य संग्रहों में 'रजनी', 'नंगे पांवों का सुख', 'नीड में फंसे पंख' और 'गंगा से ग्लोमा तक' 
तथा नाटकों में 'अंतर्मन के रास्ते' और 'अंततः' तथा कहानियों में 'मंजिल के करीब', 'लाश के वास्ते', 'चौराहा'
'मदरसे के पीछे', 'वापसी', 'सरहदों से दूर', 'लाहौर छूटा अब दिल्ली न छूटे' तथा 'विसर्जन के पहले हैं.
आप हिन्दी में ब्लॉग भी लिखते हैं तथा आपकी कथाओं पर पांच टेलीफिल्में भी बन चुकी हैं. इन्हें नार्वे में हाल ही में बिएरके संस्कृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 
आपके चर्चित काव्यसंग्रहों में  
 सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'  ने  समाचार-पत्र को बताया ,
"मेरे द्वारा विदेशों में (नार्वे) में की गयी हिन्दी सेवा के लिए 'विदेश हिन्दी प्रसार सम्मान' पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की है. यह पुरस्कार मुझे और मेरे परिवार को और अधिक उत्साह से हिन्दी  सेवा करने के लिए प्रेरित करेगा। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान और  उत्तर प्रदेश सरकार का आभार।"  
आप प्रो  शैलेन्द्र शर्मा के सम्पादन में शोध पत्रिका अक्षर वार्ता के विदेश से प्रतिनिधि सलाहकार हैं

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