शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

Narendra Modi speeks on Indira Gandhi? -Suresh Chandra Shukla नरेंद्र मोदी जी इन्दिरा जी के बारे में भ्रमात्मक बाते कह रहे हैं


नरेंद्र मोदी जी इन्दिरा जी के बारे में भ्रमात्मक बाते कह रहे हैं 
जो एक प्रधानमंत्री को दिवंगत प्रधानमंत्री के बारे में शोभा नहीं देता 

हमारे प्रधानमंत्री यदि अपने ही देश की प्रधानमंत्री के बारे में यदि गलत बोलेंगे तो वह शिष्टाचार नहीं निभा रहे. 
आर एस एस शिष्टाचार की संस्था कही जाती है, जो राष्ट्रीय और एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है. 
समाचार पत्र के अनुसार उन्होंने पार्टी बैठक में इंदिरा जी के बारे में और उनके शासनकाल के बारे  में जो उप्लब्दियाँ रहीं वह नहीं बताते।  हर नेता के नेतृत्व में  कुछ बहुत अच्छा होता है कुछ गलतियां होती हैं.
इंदिरा जी विदेशों में प्रेस कांफ्रेंस में नहीं बोलती थीं और मोदी जी ज्यादा बोलते हैं.

मोदी जी का समर्थक और प्रशंसक
मैं मोदी जी का समर्थक और प्रशंसक हूँ, प्रधानमंत्री सभी का होता है यह वह भूल जाते हैं.
वह अपने को अक्सर केवल बी जे पी का ही प्रधानमंत्री मानते हैं ऐसा मैंने लोगों को कहते सुना है. मेरे बहुत अच्छे मित्र बी जे पी से सम्बन्ध रखते हैं और जो बहुत अच्छे इंसान हैं. 
आदमी जो सुनता है वह अक्सर वह एक पक्ष भी हो सकता है. ऐसा कभी नहीं होता कि एक नेता हमेशा चर्चित रहता है जो ऊंचाई पर चढ़ेगा वह नीचे भी उतरेगा यह प्रकृति का नियम है.  दुनिया में बहुत से लोग हैं जिन्हें मोदी जी के कुछ कार्य और मोदी जी के कुछ कार्य पसंद हैं. पर सवाल यह है कि व्यक्ति को कुछ ऐसा नहीं बोलना चाहिये जिससे बाद में प्रतिष्ठा गिरे। जबान से शब्द निकलने के बाद अपने नहीं रहते वे सार्वजनिक हो जाते हैं.  


इन्दिरा जी के शासन काल सन 1983 में कंप्यूटर में तेजी आयी 
मोदी जी ने पार्टी बैठक में कुछ इस तरह कहा कि इंदिरा जी के शासन काल में  स्वाइप मशीन आदि लग जाती नोट बंदी होती तो उन्हें आसानी हो जाती।
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ मैं भारत की आई टी मिनिस्ट्री में दो बार गया हूँ. वहां से ज्ञात हुआ कि सन 1983 से  यह मिनिस्ट्री पूरे देशवासियों को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओँ के प्रोग्राम (साफ्ट वेयर) मुफ्त उपलब्ध कराती थी.  जिससे सभी इच्छुक और बड़ी छोटी इंडस्ट्री को साफ्टवेयर मुफ्त मिला जबकि विदेशी कंपनियां इस तरह के साफ्टवेयर बेचती थीं. इंदिरा जी की ह्त्या सन 1984 में हो गयी थी. 

इंदिरा गांधी जी एक शिष्ट नेता थीं 
इंदिरा जी के भाषणों को उठाकर देखें तो आप पाएंगे कि उनके भाषण नपे तुले होते थे. मुझे इंदिरा गांधी जी से तीन बार मिलने का मौक़ा मिला था. मोदी जी से प्रवासी भारतीय दिवस पर एक बार हाथ मिलाया है.

इन्दिरा और मोदी के दो वर्ष के भाषणों पर तुलनात्मक एम फिल हो 
इंदिरा जी के दो सालों के भाषणों और मोदी जी के दो सालों के सार्वजनिक मंचों/आम सभा/पार्टी बैठक का संग्रह एक साथ तुलना के साथ छपाया जाये तो अच्छा होगा।  इन्दिरा जी ने इमरजेंसी लगाई जिसमें बहुत से फायदे हुए और बहुत ज्यादा नुक्सान भी  हुये।  राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी इस पर एम फिल भी कर सकते हैं.
तानाशाही के कारण चुनाव हारने के बाद इंदिरा जी जयप्रकाश नारायण से मिलने गयीं और छमा माँगी थी. और वह दोबारा सत्ता में आयीं।  राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी इस पर एम फिल भी कर सकते हैं.



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