सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

जीवन में कितनी बार - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', Oslo, 25.02.19

जीवन में कितनी बार
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

जीवन में कितनी बार,
मिलाया है तुमसे अपरिचित,
नये -नये देशों हमें दिये नये मिलन बिन्दु.
हर मोड़ पर जहाँ मार्ग मिलते हैं,
हर बार नये -नये लोग परिचित लगते हैं 
पर दोबारा नहीं मिलते हैं 

जीवन में कितनी बार
परिचित काफ़ी केन्द्रों पर 
जो मिलते हैं, 
एक मेज के किनारे रखी कुर्सियों पर बैठे थे 
वे परिचित नहीं हो सके.
जो बयरे मुझे काफ़ी पिलाते थे वह 
कभी मेरे साथ काफ़ी नहीं पी सके.

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