बुधवार, 22 अप्रैल 2020

पत्रकारिता अपराध नहीं है- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक , Suresh Chandra Shukla


प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 142वें स्थान पर
प्रेस फ्रीडम इंडेक्स यानी प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत दो पायदान नीचे आ गया है.
मंगलवार को जारी हुए रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के वार्षिक विश्लेषण के अनुसार वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों में भारत 142वें स्थान पर है.
वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020 के मुताबिक़, साल 2019 में भारत में किसी पत्रकार की हत्या नहीं हुई जबकि साल 2018 में पत्रकारों की हत्या के छह मामले सामने आए थे. ऐसे में भारत में मीडियाकर्मियों की सुरक्षा को लेकर स्थिति में सुधार नज़र आता है.
हालांकि रिपोर्ट इस बात का भी ज़िक्र करती है कि 2019 में इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर कश्मीर के इतिहास का सबसे लंबा कर्फ्यू भी लगाया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में लगातार प्रेस की आज़ादी का उल्लंघन हुआ, यहां पत्रकारों के विरुद्ध पुलिस ने भी हिंसात्मक कार्रवाई की, राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमले हुए और साथ ही आपराधिक समूहों-भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा विद्रोह भड़काने का काम किया गया.
रिपोर्ट ने दो पायदान की गिरावट का कारण हिंदू राष्ट्रवादी सरकार का मीडिया पर बनाया गया दबाव बताया है. सोशल मीडिया पर उन पत्रकारों के ख़िलाफ़ सुनियोजित तरीक़े से घृणा फैलाई गई, जिन्होंने कुछ ऐसा लिखा या बोला था जो हिंदुत्व समर्थकों को नागवार गुज़रा.
पेरिस स्थित रिपोर्टर्स सैन्स फ्रन्टियर्स (आरएसएफ़) यानी रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स एक नॉन-प्रॉफ़िट संगठन है जो दुनियाभर के पत्रकारों और पत्रकारिता पर होने वाले हमलों को डॉक्यूमेंट करने और उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का काम करता है.
आमतौर पर दक्षिण एशिया इस सूचकांक में बुरे स्तर पर ही रहा है. एक ओर जहां भारत दो पायदान खिसककर 142वें नंबर पर पहुंच गया है वहीं पाकिस्तान तीन पायदान नीचे पहुंच गया है. तीन स्थान के नुक़सान के साथ ही पाकिस्तान 145वें स्थान पर आ गया है. बांग्लादेश को भी एक स्थान का नुक़सान हुआ है और बांग्लादेश सूची में 151वें स्थान पर है.

कोई टिप्पणी नहीं: