मंगलवार, 12 मई 2020

मजदूरों तुम गाँव न छोड़ो, हम तुम्हारे साथ खड़े हैं - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla, Oslo
















मजदूरों तुम गाँव न छोड़ो, हम तुम्हारे साथ खड़े हैं 

- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

मजदूरों तुम गाँव न छोड़ो,
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं.
विपदाओं की कारा तोड़ो
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं.

साथ जियेंगे साथ मरेंगे,
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं.
एक दूजे का साथ निभायें 
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं 

वापस आ गाँव को जोड़ो,
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं.
कार्पोरेटर  दूर भगाओ,
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं 

माटी तुमको ज़िंदा रखेगी,
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं,
मजदूरों तुम गाँव न छोड़ो,
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं,


पापी शहरों के मुर्दा छोड़ो,
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं.
घर में सम्मान की मौत मरोगे
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं.

घर की सूखी रोटी खाना,
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं
लावारिश बन शहर न जाना,
हम तुम्हारे साथ खड़े हैं.


महानगर को खूब चमकाया
आप मिलकर गाँव सँवारे।
खून पसीना बहुत बहाया 
आओ अपना गाँव सँवारे।

धनियों  को भी धनी बनाया,
आओ मिलकर गाँव सवांरें।
वह तो हमसे दूर खड़े हैं.
आओ मिलकर गाँव सँवारें।

 3
आज आपदा जब आयी है,
मजदूरी भी  बहुत दबाई है.
देश-हमारा वक्त बुरा है,
कार्पोरेटर की बन आयी है.

प्रधान हमारा मिला हुआ है,
श्रमिकों के खिलाफ खड़ा है.
रेल खड़ी है, वक्त दौड़ता
बुरे वक्त में कौन खड़ा है..

 जहाज से बस अमीर उड़े हैं,
किराए से बस रेल दौड़ती।
 जो भी भेज पाए थे गाँव में,
उससे खेती बारी होती है,

मेरे उसके बेटे बेटी की,
संताने दूध-दूध चिल्लाती हैं?
भूखी -प्यासी  उनकी मातायें,
दूध न निकले कह रोती हैं.

अपने को मालिक कहते हैं,
उनसे उम्मीद नहीं होती है.
लॉक डाउन की घोषणा,
जब साँसों को हर लेती है.

आजादी के बाद अभी तक,
नेता मजदूरों से दूर खड़े हैं 
आज हौंसले की बारी थी 
चुल्लू भर जल में डूब मरे हैं.. 

विकास के मिले पैसों से,
अपने ऐश आराम किये हैं,
मजदूर वैसे के वैसे हैं 
अपनी हिम्मत लिए खड़े हैं.

 3
जब हम पैदल चल रहे हैं,
पाँवों के छाले हंस रहे हैं 
छिप-छिपकर हम जाते 
सब हमको ठग रहे हैं। .

गाँव में आमदनी नहीं है ,
हम लघु उद्योग चालायेंगे।
प्लास्टिक नहीं छुएंगे 
हम फिर कुल्हड़ बनाएंगे 
(मौसम है आशिकाना)

दर्दनाक द्वंद्वों से लड़ेंगे 
आमदनी हम बढ़ायेंगे।
बस ईज्जत ही बच जाये,
नया रास्ता हम बनायेंगे
(मौसम है आशिकाना)

 4 
आज फ्लोरेंस नाइटेंगल का जन्मदिन है.  200वीं  वर्ष गाँठ पर बहुत बधाई।
 
विचलित कर रही हैं ,
दहला रही हैं हमको 
बिना मास्क लड़ रही हैं 
नाइटेंगल आज देखो 

नेता महल में बैठे 
हुकुम चला रहे हैं 
नर्सें हमारी देवियाँ 
जीवन बचा रही हैं

प्रिय राम-राम तुमको,
सौ-सौ सलाम तुमको 
दुनिया की रात्रिदेवी (नाइटेंगेल)
कोटि-कोटि प्रणाम तुमको।










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