मंगलवार, 23 मार्च 2021

इब्सेन के नाटकों के अनुवाद पर हुई चर्चा -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक

 

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में हेनरिक इब्सेन के नाटकों के अनुवाद पर हुई चर्चा

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विश्वविख्यात  नाटककार इब्सेन के अवदान पर  विमर्श हुआ 


भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वावधान में हेनरिक इब्सेन के जन्मदिन 20  मार्च पर अन्तराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने की।  मुख्य अतिथि डॉ निर्मला एस मौर्य, कुलपति, वीर बहादुर पूर्वांचल विश्वविद्यालय,  जौनपुर उ. प्र.   थीं।  हेनरिक इब्सेन के नाटकों गुड़िया का घर और  मुर्गाबी के अनुवाद पर चर्चा हुई, जिनका अनुवाद प्रख्यात प्रवासी साहित्यकार श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने किया है।

नॉर्वे से आयोजित वर्चुअल व्याख्यानमाला  में  मुख्य अतिथि डॉ निर्मला एस मौर्य, मुख्य वक्ता और अध्यक्षता कर रहे प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा और ओस्लो में मिल्यो (पर्यावरण) फोरम के अध्यक्ष, पूर्व टाउन मेयर  और लेखक थूरस्ताइन विंगेर तथा सुरेश चंद्र शुक्ल, ऑस्लो, नॉर्वे ने अपने सारगर्भित वक्तव्य दिए और इब्सेन के नाटकों और उसके हिन्दी अनुवाद की प्रशंसा की।

 नाट्य निर्देशक और फिल्माचार्य श्री आनन्द शर्मा ने कहा इब्सेन की तरह सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' के नाटक भी मंचन  के लिए ही लिखे गए हैं, अतः मंचन करने में कठिनाई नहीं आती।  


काव्यगोष्ठी में देश दुनिया के अनेक रचनाकारों ने अपनी कवितायें पढ़ीं। इनमें ममता मल्होत्रा (बर्लिन, जर्मनी), श्रीमती जय वर्मा (ब्रिटेन), राम बाबू गौतम (न्यूजर्सी, यू एस ए), सुरेश पाण्डेय (स्टॉकहोम, स्वीडेन) एवं नार्वे से भाग लेने वाले कवियों एस एच प्रोमिला देवी, गुरु शर्मा, इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, माया भारती, सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'. भारत से भाग लेने वाले कवियों में डॉ. सुवर्णा जाधव (पुणे), नव साहित्य त्रिवेणी के संपादक कुँवर  वीरसिंह मार्तण्ड (कोलकाता),  डॉ. अर्जुन पाण्डेय (अमेठी) और बीरेन्द्र कुमार शुक्ल और विशाल पाण्डेय, लखनऊ ने मर्मस्पर्शी कविताएं सुनाईं। । 


  केंद्रीय हिन्दी निदेशालय के उप-निदेशक और लेखक डॉ. दीपक पाण्डेय ने सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' द्वारा  इब्सेन की कृतियों के मूल से हिन्दी अनुवाद को हिन्दी और नार्वेजीय भाषाओँ  के बीच  महत्वपूर्ण सेतु बताया और सभी को कार्यक्रम की सफलता पर बधाई दी।

संचालन श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक ने एवं धन्यवाद  ज्ञापन डॉ. दीपक पाण्डेय ने किया।

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