सोमवार, 24 मई 2021

सुमित्रा नंदन पन्त - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

सुमित्रा नंदन पन्त

जहाँ नहीं स्वप्नों का है अन्त,
महाकवि सुमित्रा नंदन पन्त।
प्रगतिशील में नहीं स्वीकार,
कोटि नमन हे कवि सुकुमार।।
 
छायावाद के तुम बन आधार,
अध्यात्मवाद से अंतिम द्वन्द्व।
आकाश और झीलों में तैर,
रचे हैं अलंकार और छंद।।
 
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
   Oslo, 24.05.21

कोई टिप्पणी नहीं: