इंडो नार्विजन सोसाइटी की ५० वीं वर्षगाँठ पर न भूलने वाली शाम - शरद आलोक
बाएँ से मनोज मिश्रा Manoj Misra , महामहिम बोन्बित ए राय बोन्बित Bonbit A Raiऔर Osmund Kalheim ओसमुन्द कालहाइम दीप जलाते हुए
संस्था के संस्थापक सदस्य हान्स याकूब उत्फेल्ट और स्वेर्रे गुलसेट ५० साल बाद भी भारत-नार्वे संबंधों को मजबूत की दिशा में विचार कर रहे हैं ।
हान्स याकूब उत्फेल्त ऐतिहासिक भाषण देते हुए
गणमान्य मेहमान
इंडो नार्विजन सोसाइटी की ५० वीं सालगिरह धूमधाम से ओस्लो के थीने मेइरी में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ हमारे राजदूत महामहिम बोन्दित राय और इमिग्रेशन विभाग के डायरेक्टर ने जला कर किया । अध्यक्ष मनोज मिश्रा, राज नरूला और डॉ नजमा जी ने कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित किया। बहुत से लोगों ने अपने भावपूर्ण और शिक्षाप्रद वक्तव्य दिए। महात्मा गाँधी जी को भी याद किया गया। इस अवसर पर अनेक भारतीय मूल के युवाओं को सम्मानित किया गया वे हैं लवलीन कौर, सम्पदा शर्मा , नवजोत कौर, हिमांशु गुलाटी, भारत शुक्ला, जयशंकर और रोहिणी सहजपाल, चिराग पटेल, और माला नवीन।
ओसमुंद कालहाइम, हान्स याकूब उत्फेल्ट, स्वेर्रे गुलसेट तथा महामहिम बोन्बित ए राय जी ने अपने प्रभावपूर्ण वक्तव्य दिए और शुभकामनाएं भेंट की।
कितने गर्व की बात है और प्रेरणा की भी की ५० वर्ष बाद भी स्वेर्रे गुलसेट Sverre Gulseth ने इंडो नर्विजन सोसाइटी द्वारा किए गए भारत से नार्वे का सहयोग बढाने की दिशा में महत्व को बहुत प्रभावपूर्ण ढंग से बनाये रखा।
कार्यक्रम में अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। सांस्कृतिक कार्यक्रम ने वातावरण रंगमय बना दिया। राजेश भटनागर ने थीने मेंइरी की तरफ़ से स्वागत किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें