बुधवार, 25 नवंबर 2009

शान्ति के दीप जलाओ बन्धु! - शरद आलोक

शान्ति के दीप जलाओ बन्धु! (मुंबई हमले के एक वर्ष पूरे होने पर)
-शरद आलोक
२६ नवम्बर को मुंबई में
हिंसा की खींच गयी लकीर।
आतंकियों नें नंगा नाच किया
होटलों में हाहाकार मचा।
अमानुषों की बर्बरता से
कितने निहत्थे, शांतिदूतों के हुए क़त्ल।
कितनी माताओं की गोद छिनी,
कितने ही हुए अनाथ यहाँ।

हिंसा से बर्बरता, पशुता
आतंकी का घिनौना चेहरा
मंडराया था मुंबई में।

गांधी के देश में,
हिंसा का तांडव बंद करो
अपनी माता के दूध के खातिर
आतंकी हमला ख़त्म करो।

शान्ति की मशाल लिए कवि फिरता
द्वार-द्वार पर देता दस्तक
जिनके घरों में न जले हों चूल्हे,
उनको दो रोटी और प्रेम
घायल, पीड़ित हों जहाँ -जहाँ
उन्हें लगाओ मरहम बन्धु!
अपने कदम बढाओ बन्धु!
शान्ति के दीप जलाओ बन्धु!
ओस्लो, २५ नवम्बर २००९

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