बेटों के हाथों नहीं मरेगी अम्मा
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' बेटों के हाथों नहीं मरेगी अम्मा अब नहीं बिकेंगी, पैसों के खातिर। शीर्षक नारी नहीं बनेगी, कविता की अंतिम पंक्ति। मुट्ठी में आसमान दिया करती थी, बच्चों को जिसने पाल पोस कर बड़ा किया भूख, प्यास, दुःख दर्द पहाड़ों को झेला बच्चों को अपनी कोख, गोद और आँचल में पोसा, उनके हाथों में बन्दूक देख, धोखाधड़ी को पहचान गयी है अम्मा। भेड़ों से हांक चुके कितना तुम, नजर के खातिर बहुत लगाये काजल टीका, अब वह तलवार की नोक से सुरमा तुम्हें लगाएगी, अब चुनाव में अंगूठा नहीं लगाएगी अम्मा। पढ़ लिखकर अब वह नयी पार्टी बनाएगी। परदे, बुर्के में बहुत छिपाया खुद को, आदमी ने क्या-क्या पाठ पढाया उसको, मनुष्य की काली करतूतों का अब पर्दाफाश करेगी अम्मा। नारी ने बहुत बनाया मुखिया, ईश्वर पुरुषों को, आर्थिक बंधन में बहुत जकड़ रखा है, इसीलिए औरत को अनपढ़ बना रखा है। अब कोई ओट, दीवार न रोकेगी नारी को। परम्परा की खोखली दीवार गिराएगी अम्मा। सदियों से गोबर-मिटटी-शरीर से कितना सृजन कर रही अम्मा। देहरी पर हुक्का, चिलम पी रहे पुरुषो, से घास-फूस निकालती आयी अम्मा, दिन रात मरी है घर-बाहर परिवार समाज के पीछे, अब और नहीं सताई जायेगी नारी। अब समान शिक्षा और रोजी की बात करोगे, बहुत सहा है, अब और सहा न जाता, धोखा पा हर रोज रिश्तों को तोड़ जायेगी अम्मा। अब भी समय है नारी को अब न और दबाओ, पुरुष! नारी से एक सा व्यवहार निभाओ। मिलजुलकर बाटेंगे सुख-दुःख तेरे। खुद भूखे रहकर इन्तजार सबका करती थी, अब साथ बैठकर खाना खाएगी अम्मा.मंगलवार, 8 मार्च 2011
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाई-शरद आलोक
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाई-शरद आलोक ८ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है आप सभी को हार्दिक बधाई। साक्षरता और आर्थिक स्वतंत्रता दो बहुत बड़ी आवश्यकता है पुरुष और नारी के संबंधों को मजबूत बनाने में। खासकर दोनों को समान अवसर और अधिकार के लिए। समाचार पत्र और दूरदर्शन पर देखा की एक बेटे ने अपनी माँ को जंगल में छोड़ आया । आम तौर से अशिक्षा के कारण लड़कियों को कम पढ़ाते हैं और उनका विवाह कम आयु में करते हैं। ईश्वर ऐसे निरक्षर और नासमझ पिताओं को सद्बुद्धि सदबुद्धि दें जो ऐसा करते हैं ताकि वह आगे से ऐसा न करें। इस अवसर पर एक कविता प्रस्तुत है।
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1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर. आप हिन्दी की मशाल नोर्वे में जगाये हुए हो. आपकी जितनी तारीफ़ की जाय कम है. मेरी बधाई स्वीकारें- अवनीश सिंह चौहान
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