मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

४ अप्रैल को अज्ञेय जी की पुण्य तिथि है -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

४ अप्रैल को अज्ञेय जी की पुण्य तिथि थी -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' अज्ञेय जी को श्रद्धांजलि अवलंब कथा का अन्त/ निशा के ओ कविता- अवली/ अवलंब जिन्हें होना था अवस्त्र हुए/ वृक्षों के ठूंठों पर कर विश्राम/ काक सा देते ठौर विचार, / गूंजने लगते थे पशु पक्षी/ ज्यों आते ही वसंत। / स्वागत कर उपेक्षा का, / नवतंत्र, कवि के मंत्र / गुरुदेव की बात / अकेला चले तुम जीवन पर्यन्त।/ कुछ किया गुरु दिनमान, / एकलव्य को दे धनु बाण/ नहीं होने पाया षड्यंत्र / किसी को लेने दिया न प्राण। / पत्रकारिता को दे नव अर्थ/ मिटाए कितने अवरोध, / अवसाद पा गए अवसान। / अनुबंध लिखे नव शक्ति, / तुम्हारे गायेंगे नवगान। / बिना नव छंद, / बनाकर द्वन्द/ करेंगे प्रस्तुत निश्छल सत्य।/ उसी से उपजेगा कोई अंजान/ जिसे न होगा पाठ का ज्ञान, / निरंतर बढ़ते जाएं पग, / तुम्हारी कविता का जयगान/ और कथा का अंतर्द्वंद / कभी तो उतरेगा केचुल, / साथ रहोगे हमारे स्मृति में / अगीत जिन्हें हम गायेंगे निर्वाद/ पृकृति का वह संगीत निषाद, / जिसे हम चाहेंगे दिन रात/ उसी पर दोरे डालें आज। / ओस्लो, नार्वे, ०५.०४.११

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