आलेक्स राष्ट्र गीत पढ़ते हुए
चेतना अपनी कविता पढ़ते हुए
विश्व पुस्तक दिवस पर ओस्लो में लेखक गोष्ठी में सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने कहा की पुस्तकें व्यक्ति और समाज से खुला संवाद करती है। पुस्तकें अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम हैं। १९९७ में यूनेस्को द्वारा घोषित २३ अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस मनाने का उद्देश्य लेखकों की कापी राइट और रायल्टी की तरफ ध्यान देना भी इस दिवस का उद्देश्य है।
इस अवसर पर हुई गोष्ठी में अनेक लेखकों और संस्कृति कर्मियों ने अपने विचार रखे और रचनायें पढ़ीं उनमें चेतना, साक्षी, भावना और इंदरजीत पाल, एकता लखनपाल, राज कुमार भट्टी, इंगेर मारिये लिल्लेएन्गेन, निकीता, आलाक्सान्दर और संगीता शुक्ल सीमोनसेन , सीगरीद मारिये रेफ्सुम, माया भारती, लीव सीवेनसेन, वासदेव भरत, दिया, आदि और अनुराग विद्यार्थी तथा सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' मुख्य थे। इंदरजीत पाल ने भारत में भविष्य की उर्जा सौर ऊर्जा पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया और अपनी रचनायें पंजाबी और नार्वेजीय भाषा में सुनायी। सुरेशचन्द्र शुक्ल ने अपनी नार्वेजीय रचनाओं के साथ-साथ हिन्दी रचनाओं का पाठ किया और रचनाकार को समाज का पहरेदार बताया।
इस अवसर पर हुई गोष्ठी में अनेक लेखकों और संस्कृति कर्मियों ने अपने विचार रखे और रचनायें पढ़ीं उनमें चेतना, साक्षी, भावना और इंदरजीत पाल, एकता लखनपाल, राज कुमार भट्टी, इंगेर मारिये लिल्लेएन्गेन, निकीता, आलाक्सान्दर और संगीता शुक्ल सीमोनसेन , सीगरीद मारिये रेफ्सुम, माया भारती, लीव सीवेनसेन, वासदेव भरत, दिया, आदि और अनुराग विद्यार्थी तथा सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' मुख्य थे। इंदरजीत पाल ने भारत में भविष्य की उर्जा सौर ऊर्जा पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया और अपनी रचनायें पंजाबी और नार्वेजीय भाषा में सुनायी। सुरेशचन्द्र शुक्ल ने अपनी नार्वेजीय रचनाओं के साथ-साथ हिन्दी रचनाओं का पाठ किया और रचनाकार को समाज का पहरेदार बताया।
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