शनिवार, 16 अप्रैल 2011
ओस्लो में बैसाखी मनाई गयी-सुरेशचन्द्र शुक्ल
बैसाखी पर ओस्लो में पग दिवस मनाया गया लोगों ने शौख से पगड़ी पहनी ओस्लो में बैसाखी पर्व धूमधाम से मनाया गया पांच प्यारे के साथ नगर कीर्तन में सम्मिलित आस्थावान लोग ओस्लो में पार्लियामेंट के सामने (कार्ल युहान सड़क पर) लेख और चित्र: सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ओस्लो, नार्वे से' ओस्लो की सड़क पर,/ रंग बिरंगे- केसरिया, / नीले परिधानों मेंबाल युवा वृद्ध, / नारी और पुरुषों का जोश दिला देता है/ अमृतसर की याद।' बोले सोनिहाल.. सत श्री अकाल की/ गूँज भर देती है नव उत्साह। / अपनी संस्कृति के रखवाले कर रहे हैं / मानवता की रक्षा और दे रहे हैं / खालसा पंथ की शिक्षा।/ दिला रहें हैं गुरुनानक का सन्देशऔर/ गुरु गोविन्द सिंह की दीक्षा।/ ओस्लो की सड़क पर / सेन्ट्रल स्टेशन से नेशनल थिएटर तक/ शान्ति और शब्द की शिक्षा।/' ओस्लो, १७ अप्रैल। / आज ओस्लो के सेन्ट्रल स्टेशन से/ बैसाखी के अवसर पर दिन में १२:३० बजे/ विशाल नगर कीर्तन निकलकर / कार्लयुहान सड़क, पार्लियामेंट होता हुआ / यूनिवर्सिटी आउला (नेशनल थिएटर के पास) / में एक विशाल जन सभा में बदल गया। / नगर-कीर्तन के सामने / पुलिस की कार और घोडा चल रहा था। उसके बाद करतब दिखाते युवा सिख कार्यकर्ता और उसके बाद पांच प्यारे / पुरुष और पांच महिलायें/ एक तरह की ध्वजा लिए हुए चल रही थीं। / लोगों में बहुत उत्साह था। / अनेक बैनर सिख धर्म का सन्देश देते हुए / लोगों ने हाथों में पकड़े हुए थे। / यहाँ एक मेले जैसा माहौल था। / एक तरफ कतार में पगड़ी पहनाई जा रही थी। / यह पगड़ी सभी के लिए निशुल्क थीं। / नार्वेजीय युवा लोग बहुत रूचि से पगड़ी पहन रहे थे। / दूसरे पंडाल में भारतीय भोजन / परोसा जा रहा था। / आसमान साफ था। / सूरज चमककर अपनी किरणों से / गर्मजोशी भर रहा था। / विशाल सभा को ओस्लो स्थित / गुरुद्वारा कि प्रधान अमनदीप कौर, / के सबसे बड़े अस्केर, नार्वे में स्थित गुरुद्वारे के मंत्री इंदरजीत सिंह / और भारतीय दूतावास के प्रथम सचिव दिनेश कुमार नंदा तथा नार्वेजीय नेता ऊला एलवेथून ने संबोधित किया और शुभकामनाएं दीं. नंदा जी ने कहा कि जहाँ भी भारतीय जाते हैं वह अपनी पहचान छोड़ देते हैं. वे जहाँ जाते हैं वहाँ के संस्कृति में भी राम जाते हैं और अपनी संस्कृति और भाषा को भी अपनाए रखते हैं. यह मुझे विदेश में अनेक देशों में देखने को मिला. इंदरजीत सिंह ने भी नंदा जी से सहमती जताई और सभी को धन्यवाद दिया. इसा विशाल बैसाखी पर्व में नार्वे में रहने वाले दस हजार भारतीयों में से एक हजार यहाँ उपस्थित थे. नार्वे में दस हजार भारतीय निवास करते हैं जिनमें पांच हजार सिखों की जनसंख्या है.
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