रविवार, 16 जून 2013

अटल बिहारी विश्वविद्यालय का शिलान्यास और विज्ञान संगोष्ठी

अटल बिहारी विश्वविद्यालय का शिलान्यास और विज्ञान संगोष्ठी 
राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान हिन्दी सम्मलेन 



६ एवं ७ जून को भोपाल, मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान हिन्दी सम्मलेन संपन्न हुआ।  संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को प्रतिष्ठित करने वाले अप्रतिम वक्ता, सुप्रसिद्ध कवि, एवं पूर्व यशस्वी प्रधानमंत्री और विपक्ष के सफल नेता अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर देश को गौरवपूर्ण उपलब्धि  देने के लिए मध्य प्रदेश शासन, द्वारा अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना १९  दिसंबर २०११ को की गयी है।
अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के शिलान्यास के लिए महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुकर्जी ने अपने कर कमलों से किया।  इस  शिलान्यास  कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और देश की लोकसभा की नेता सुषमा स्वराज, उच्च  शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश और कुलपति प्रो.मोहनलाल छीपा तथा कार्यक्रम के संयोजक प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल ने अपने संदेशों से राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान हिन्दी सम्मलेन को प्रोत्साहित किया और सफल बनाने के लिए शुरुआत की। संयोजक प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल  मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के अध्यक्ष हैं तथा गत दिसंबर में उज्जैन में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन कर चुके हैं जिसमें प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, प्रेम भारती,  श्री पराड़कर जी सहित बहुत से विद्वतजन देश-विदेश से भाग लेने आये थे।

इस  राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान हिन्दी सम्मलेन में देश विदेश के जाने माने हिन्दी के विद्वानों ने हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान, तकनीकी विषयों पर अच्छी सुगम पाठ्य पुस्तकें लिखने का वचन दिया और इसके लिए औरों को भी लिखने के लिए आह्वाहन किया।  
चिकित्सा विश्व विद्यालय जबलपुर के उपकुलपति प्रो. लोकवानी और  लखनऊ मेडिकल कालेज के प्रोफ़ेसर प्रो. सूर्यकान्त  सहित अनेक विद्वानों ने अपने हिन्दी में शोधपत्र और्परीक्षा देने और चिकित्सा की पुस्तकों को हिन्दी में लिखने पर बल देते हुए कहा कि  जो बच्चा अपनी मात्र भाषा में शिक्षा गृहण करता है उसके दिमाग के दोनों तरफ के चक्छुओं का इस्तेमाल होता है और इससे बच्चे को कम थकावट होती है, यह शोध द्वारा सिद्ध हो चुका है।  इसके साथ ही बच्चा पांच - छ: भाषाओँ को बचपन में सीखने की छमता रखता है।
मारीशस से विश्व हिन्दी सचिवालय के सचिव और लेखक गुलशन सुखलाल और नार्वे से पधारे स्पाइल-दर्पण हिन्दी-नार्वेजीय द्विभाषी पत्रिका के सम्पादक और अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के सलाहकार  सुरेशचन्द्र शुक्ल ने बताया की विदेशों में हिन्दी का पठन-पाठन  तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि केवल नार्वे में हिन्दी शिक्षा देने के लिए निजी संस्थायें तेजी से संख्या में बढ़ रही हैं। हिन्दी स्कूल ओस्लो एक धार्मिक और राजनैतिक रूप से स्वतन्त्र स्कूल है जहाँ कक्षा एक से दसवीं कक्षा तक की शिक्षा दी जाती है। विश्वविद्यालय के क्षात्र भी जहाँ यदा -कदा आते रहते हैं। 
देश के कोने-कोने से आये विद्वानों ने वैदिक गणित, राम साहित्य, अनुवाद साहित्य आदि अनेक विषयों से लाभान्वित कराया। लखनऊ की डॉ  विद्याविन्दु सिंह, वाराणसी से प्रो. दुबे, प्रो विद्योत्मा मिश्र,  प्रो शेशारतनम आदि सहित बहुत लोगों ने अपने विचारों से लाभान्वित कराया।


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