बुधवार, 8 नवंबर 2017

नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में किया गया था जिसने आम गरीब और मध्यमवर्ग को शक की नजर से देखा- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

  नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में किया गया था जिसने प्रवासियों को शक की नजर से देखा?
नोटबन्दी गलत फैसला?

प्रधानमंत्री अपने बयानों से नोटबन्दी से हुये नुकसान को झुठलाने में लगे हैं और अपने को सभी पार्टियों का प्रधानमंत्री नहीं मान रहे तभी तो विपक्ष पर अतार्किक हमला कर रहे हैं? चित्र वेब दुनिया से साभार.

 भारत की सभी पार्टियाँ मिलकर तय करें कि उन्हें जनता को कैसे सूचना देनी है. सही सूचना यदि नहीं दे सकते तो हम जनता को ऐसा प्रजातंत्र नहीं चाहिये जहाँ मंत्रियों से लेकर  विपक्ष किसी में  शिष्टाचार नहीं लगता।
 प्रधानमंत्री को केवल अपनी सरकार के कामकाज को बताना चाहिये वह भी सच-सच. न कि पिछली सरकार के कारण नहीं कर पा रहे. यदि नहीं कार्य कर पा रहे तो छोड़ दीजिये सरकार या राजनीति। यही विपक्ष से कहना है. जनता को भ्रष्ट और सदिंग्ध बयानों वाले नेता नहीं चाहिये। ऐसा प्रजातंत्र भी नहीं चाहिये। 
जनता को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है.

कहीं-कहीं घायल आदमी का इलाज नहीं हो रहा क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं है. राशन नहीं मिला कुछ परिवारों को जबकि वे देश के वरिष्ठ नागरिक हैं. एक दूसरे पर बयानबाजी करके हमारे नेता हमारा ध्यान असली समस्या से हटा रहे हैं.

नार्वे के  प्रवासियों का उदाहरण  
नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में किया गया था जिसने प्रवासियों को शक की नजर से देखा 
जनता को बिना तैयारी और बिना विपक्ष तथा रिजर्व बैंक के मैनेजर की सलाह के. नार्वे की श्रीमती मंजू भाटिया जी ने 26 जनवरी 2017 को हम लोगों को एक मोबाइल पर अपना वीडियो दिखाया था जिसमें उन्हें उनके बैंक ने नोट नहीं बदले और अच्छा व्यवहार नहीं किया था. मैं पंजाब नेशनल बैंक लाजपतनगर, दिल्ली गया था जहाँ दो दिनों तक मेरे एकाउंट से पैसे नहीं निकालने दिए जबकि सारी कार्यवाही पूरी हो गयी थी क्योंकि बैंक में पैसा ही नहीं आया था. फिर दूसरे बैंक ने तीसरे दिन सहायता की थी.
पर अब बैंक में सामान्य है कोई तकलीफ नहीं है.


नोटबंदी के गलत फैसले की वकालत में लगे नेता आज की समस्या जो आधार कार्ड और बैंक कार्ड होने और जनता को राशन और इलाज न हो पाने की तरफ ध्यान नहीं दे रहे. 

इतिहास से सबक सीखें
जनता माफ़ नहीं करेगी। कहीं ऐसा न हो कि जनता जनमतसंग्रह द्वारा पूरे देश का सिस्टम और सरकार बदल दे जहाँ कोई बेईमानी नहीं कर सके. हर नागरिक अधिक से अधिक काम करे और जरूरत की चीजें उसे मिलें। 
बैंकों, स्वास्थ, शिक्षा और बड़े उद्योगों का राष्ट्रीयकरण होगा। 
अनेक देशों में जनता ने क्रान्ति की अपने नेताओं के नेतृत्व में. लेनिन के  नेतृत्व में क्रान्ति को 7 नवम्बर 2017 सौ साल हुए हैं. चीन हमसे बाद में आजाद हुआ और हमसे ज्यादा तरक्की की.

 गाँधी-नेहरू द्वारा देश का अच्छा नेतृत्व
गाँधी-नेहरू नई देश का अच्छा नेतृत्व न किया होता तो हमारे देश की साख अच्छी न होती। वर्तमान सरकार के काम अभी दिखाई नहीं दे रहे. केवल मीडिया में उनके विज्ञापन और प्रचार तथा विपक्ष पर करना और सबसे अधिक अमीरों की सेवा करना भर ही रह गया है यह भी मीडिया ने बता या है. अभी भी समय है चेत जायें।
इतिहास ने हमें सिखाया है और बताया है कि समय रहते नहीं चेते तो देर हो जायेगी। 
इतिहास से सीखें न कि पुराणी गलतियाँ दोहरायें। धन्यवाद।
यह सोचें कि आपने देश और समाज के लिए क्या किया है.

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