गुरुवार, 29 मई 2008

उत्सव से परिपूर्ण मई का महीना जिसने किया उत्साह दूना

उत्सव और उत्साह का महीना मई
मई के पुष्प , जीवन को हरा-भरा करने के लिए अपने आप में समर्थ हैं। भारत में युवा अपनी हाईस्कूल, माध्यमिक परीक्षाओं के परिणाम प्राप्त करने के बाद अपने अपने आगामी अध्ययन और प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए के लिए जुटे दिखाई देते हैं तो नार्वे में मई महीने का आने का अपना अलग अंदाज है । मई का प्रथम दिन अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। ओस्लो के हर वार्ड में एक सभा या आयोजन होता है जिसमें प्रातकाल का नाश्ता साथ खाया जाता है। चाहे कोई मिनिस्टर हो या बड़ा अधिकारी हो या श्रमिक या सफ़ाई कर्मचारी सभी मिलजुलकर खाते हैं। श्रमिक और सालिडरिटी के गीत गाते हैं। यह सिलसिला सुबह ८ बजे शुरू हो जाता है।
ग्यारह बजे ओस्लो में Youngstorvet में अपनी-अपनी श्रमिक यूनियन और राजनैतिक दल और उसकी विशेष मांग के साथ निकलते हैं ।
मई को नार्वे का आजादी दिवस है
नार्वे में १९४० से १९४५ तक नाजी क्रूर तानाशाह हिटलर का शासन रहा। नार्वे की जनता का साँस लेना दूभर हो गया था। इन वर्षों में एक शांतिप्रिय देश बर्बरता का शिकार हो गया था। आज ८ मई को नार्वे की जनता ने आजादी दिवस मनाया। आज जब मैंने ओसलो नगर में कुछ बुजुर्गों से बातचीत की तो उनकी आँखें भर आयीं। उनका कहना था कि ईश्वर किसी को भी गुलामी न दें। युवाओं का कहना था इक उन्हें गुलामी का कोई अनुभव नहीं है इसलिए उनका इस दिवस से कोई ज्यादा सरोकार नहीं है। वह क्या जाने आजादी की कीमत जिसने गुलामी नहीं देखी है। मेरी कविता की पंक्तियाँ हैं:
" आजादी की महान जयंती , तुमको बहुत बधाई रे ,
आज हमारे मन में भइया , गूँज उठी शहनाई रे।
गांव -गांव में नगर-नगर में, जहाँ -जहाँ भी क्यारी हो,
आजादी के फूल खिले हों, प्राणों से भी प्यारी हो॥
नहीं चाहिए उसकी रोटी , नहीं चाहिए वे डालर ।
जिसके लेने से हो जाएं, मैंले मेरे ये कालर ॥ "
आजादी का अर्थ है स्वाभिमान और शान्ति से जीवन यापन।
दूसरी बधाई है इसराइल देश की ६० वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं
"इसराइल की आजादी मनाना, तब बहुत आँसू भी बहाना।
स्वर्णिम सपनों के महल, यातनाओं की काली यादें ,
नाजी क्या दरिंदे नहीं जो यहूदियों का रक्त बहाया?
नस्लभेद हो, भेदभाव हो या आतंक का निशाना,
अन्याय के खिलाफ सदा आवाज तुम उठाना॥
चंदन भी जलता है जब चिता पर ,
क्या दिया जलाना, क्या अगरबत्ती जलाना ।
न खुशियों में खुशी है, न दुःख में ही मातम।
इसराइल महकता रहे , हम भी महकते रहें।
न दुश्मन बुरा है, न दोस्त कुछ खास।
आज दो कदम चलें हैं, कल जीवन भर का साथ।"
१७ मई राष्ट्रीय दिवस है :
१७ मई २००५ को नार्वे का संविधान आइद्स्वोल्ल नगर में लिखा गया और
लागू हुआ था जिसे एक सप्ताह में लिखा गया था। सत्रह मई को पूरे नार्वे में ऐतिहासिक स्थलों पर और सार्वजनिक स्थलों पर बैंड बाजे को साथ बच्चे, युवा और सभी एकत्र होते हैं, परन्तु इस पर्व को सुबह बच्चे परेड निकालते हैं नार्वे के रास्ट्रीय तिरंगे के साथ । नार्वे का झंडा नीला, लाल और सफ़ेद रंग का होता है।
इस वर्ष बच्चों को नार्वे के झंडे के अलावा दूसरे देश के झंडे भी लाने की इजाजत दी गयी थी परन्तु लोगों ने केवल नार्वे के राष्ट्रीय दिवस पर केवल नार्वे के झंडे को ही शामिल करना उचित और न्यायसंगत समझा। हालांकि राजा के महल के सामने होने वाली ऐतिहासिक बच्चों के स्कूलों की परेड में केवल नार्वेजीय झंडे थे दो-तीन स्कूलों ने संयुक्त राष्ट्र संघ का भी झंडा भी साथ में उठाया हुआ था।
ओस्लो में तीन बजे नार्वेजीय झंडे के साथ बहुत से युवा भान्ग्रा नृत्य करते ढोल बजाते एक अलग उत्साह प्रदर्शित कर रहे थे।
ओस्लो में शाम को वे युवा जिन्होंने माध्यमिक परीक्षा दे दी थी वह अपनी रंग बिरंगी पोषक के साथ मौज मस्ती में अपने अपने झुंड के साथ राजा के महल के सामने से होते हुए यूनीवर्स्टी औला के सामने कार्ल जुहान सड़क से होतो हुए ओस्लो पार्लियामेंट के सामने तक नाचते गाते मौज मनाते रहे।
२७ मई जवाहर लाल नेहरू की पुण्य तिथि
१४ नवम्बर १९८९ को इलाहाबाद में शान्ति के पुजारी, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का नाम सभी ने सुना होगा। वे बच्चों को बहुत प्यार करते थे। उनका जन्मदिन बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इनकी मृत्यु २७ मई १९६४ को हुई थी उस समय मैं सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश में अपने अपने दादा के पास गया था जो अवकाश प्राप्त करने के बाद भी आरामशीन लगा कर काम कर रहे थे। नेहरू जी की मृत्यु पर बाजार बंद कर दिए गए थे। नेहरू जी को श्रधांजलि अर्पित करते हैं।
- शरद आलोक

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

८ मई को norway का aajadi दिवस है।
१७ मई राष्ट्रीय दिवस है।

--इन विषयों में भी जानकारी दें. अच्छा आलेख. आभार.