परदेश में हम अपनी परम्परा मनाने लगे है:
भारत में जहाँ हम बच्चों के जन्मदिन होटलों- रेस्तरां में मनाने लगे हैं। मैंने देखा, कि लोग विदेशों में अपने तीज त्योहारों और जन्मदिन-समारोह आदि को भारतीय परम्पराओं के अनुसार मनाने में विश्वास करते हैं जो इस बात का सबूत है कि भारत के बाहर भी भारतीय लोग अपने आप को अपनी परम्पराओं के अनुरूप ढालने लगे हैं। इसीलिए कोई अपना जन्मदिन मन्दिर में मनाता है और कोई इस अवसर पर अपनी प्रार्थना-अरदास गुरुद्वारे में कराता है । जो लोग सामाजिक रूप से ज्यादा सक्रिय हैं वे अनेक अवसरों पर अपने घरों पर साहित्यिक कार्यक्रम कराते हैं। अपने अलावा लेखकों और ऋषि मुनियों का जन्मदिन मनाते हैं। अपने शहीदों को याद करते हैं जो इस बात का उदाहरण हैं की हम अपनी संस्कृति को अपने बच्चों के द्वारा भविष्य के लिए सुरक्षित रख रहे हैं। हमको संकीर्ण विचारधारा का नहीं होना चाहिए। जिस भी देश में रहते हैं, उसके विकास के बारे में सोचना तो जरूर चाहिए लेकिन अपने मूल देश की संस्कृति , समाज, समारोह व परम्पराओं को कभी नहीं भूलना चाहिए। मैं इस सन्दर्भ में ऐसे लोगों को बधाई देता हूँ जो अपनी संस्कृति और उदार परम्परा को अपनाते हैं।
ओस्लो स्थित गुरुद्वारे में दोबारा चुनाव १५ जून को:
ओस्लो में स्थित श्री गुरुनानक देव जी गुरुद्वारे में १५ जून को दोबारा चुनाव हो रहे हैं। इसमें कई लोग बहुत सक्रिय थे जिसमें एक महिला प्रबंध समिति में मंत्री चुनी गयीं जिनका नाम रणजीत कौर है, उनकी वाणी ने बहुतों का दिल जीत लिया । वे सभी को आदर से बुलाती थीं कोई भेदभाव नहीं रखती थीं। वह पहली महिला मंत्री बनी थीं जिन्हें हमेशा उनके संचालन के लिए याद किया जायेगा। गुरुद्वारा की प्रबंधक समिति भंग कर दी गयी है पूरी कार्यकारिणी ने अपना स्तीफा दे दिया था, जो अपना पूरा साल भी नहीं पूरा कर पायी। इसने केवल पाँच महीने ही पूरे किए जबकि इसे दो साल के लिए चुना था।
अब नए चुनाव १५ जून २००८ को होंगे।-
- शरद आलोक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें