रविवार, 17 मई 2009

नार्वे के राष्ट्रीय पर्व १७ मई पर शुभकामनाएं - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'






नार्वे के राष्ट्रीय पर्व १७ मई पर शुभकामनाएं - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'


१७ मई १९०५ को नार्वे में संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। आज नार्वे के स्कूलों में बच्चे अपने राष्ट्रीय पर्व पर एकत्र होते हैं जहाँ ध्वजारोहण, देशगीत, राष्ट्रगीत gआते बजाते हैं तथा स्कूल के बैंड के साथ मार्चपास्ट करते हैं। ओस्लो में बहुत से स्कूलों द्वारा मार्चपास्ट करते हुए राजमहल के सामने से गुजरते हैं। राजा को सलामी देते हैं और झंडा झुकाते हुए हुर्रा, हुर्रा, हुर्रा बोलते हैं। राजा अपने परिवार के साथ खड़े होकर अपना हैट उतारकर हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार करके वापस अभिवादन करता है।


आज प्रातकाल ९ बजे अपने घर के पास स्थित स्कूल में मैं धवाजरोहन समारोह में शामिल हुआ। इसी स्कूल में मैं प्रबंधक समिति का राजनैतिक सदस्य भी हूँ।


पूरा वातावरण आनंदमय था। चारो तरफ़ बच्चे, युवा और बुजुर्ग उत्साह के साथ एकत्र हुए थे।


नार्वे का तिरंगा: लाल, सफ़ेद और नीला रंग के साथ लहरा रहा था। जनतंत्र और स्वतंत्रता स्वयं नहीं मिल जाते उसके लिए कुछ करना परता है।


लगातार प्रयास और योगदान देना जरूरी होता है स्वतंत्रता और समानता की रक्षा के लिए। हर पल जागते रहना होता है। अन्याय के खिलाफ सामूहिक आवाज उठाने की जरूरत होती है।

4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

भाई सुरेश जी,
हम भारतवासियों की तरफ से भी नार्वे के सभी देशवासियों को इस पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं.
जानकारी के लिए आभार.

Unknown ने कहा…

भाई सुरेश जी,
हम भारतवासियों की तरफ से भी नार्वे के सभी देशवासियों को इस पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं.
जानकारी के लिए आभार.

Unknown ने कहा…

भाई सुरेश जी,
हम भारतवासियों की तरफ से भी नार्वे के सभी देशवासियों को इस पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं.
जानकारी के लिए आभार.

नितिन | Nitin Vyas ने कहा…

शुभकामनायें!