शनिवार, 6 मई 2017

आज ६ मई २०१७ को मेरी शादी की चालीसवीं सालगिरह है. -Suresh Chandra Shukla

आज ६ मई २०१७ को मेरी शादी की चालीसवीं सालगिरह है. 
आज मेरी माँ और पिताजी की आत्मा खुश होगी क्योंकि 
उनको किये वायदे उनके न रहने पर भी निभाये हैं.

पत्रों का सिलसिला कम हुआ है 
पत्रों का सिलसिला कम हुआ है जबकि समृद्धि बढ़ी है. प्रिय मित्रों जब ३२ साल पहले लखनऊ में मेरे घर पर फोन नहीं था तब माता-पिता जी पड़ोस में जाकर फोन करते थे. उस समय आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती थी।
आज परिवार में सभी लोग समृद्ध हो गये हैं पर वे फोन करने में असमर्थ हैं. वहाँ प्रायः अपने लोग जब कभी मुसीबत में होते थे तो फोन करते थे. उस समय (पहले) पाठकों के और मित्रों के बहुत से पत्र डाक से आया करते थे. 
लखनऊ से साप्ताहिक ' वैश्विका' 
मेरे पिता चाहते थे कि मैं लखनऊ वापस आऊँ और वहां से अखबार निकालूँ।  पता नहीं क्यों उनको मुझसे बहुत आशायें थीं. स्व. डॉ  बृजमोहन लाल शुक्ल (वह रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर भी थे, इसलिए डाक्टर भी लिखते थे.) जी चाहते थे  मैं लखनऊ वापस आऊँ और वहां से अखबार निकालूँ।  उन्होंने मुझे कुछ पत्र भी लिखे थे. 
नार्वे व विदेश में रहने वाले बहुत से लोग नहीं जानते हैं कि लखनऊ से मैंने एक साप्ताहिक अखबार निकालना शुरू किया है जो अभी भी चल रहा है. साप्ताहिक का नाम 'वैश्विका' है के प्रकाशन की शुरुआत सात साल पहले की थी वह लो प्रोफ़ाइल में चल रहा है. 
विश्व पुस्तक प्रकाशन से सौ पुस्तकें छपीं 
एक प्रकाशन नयी दिल्ली से शुरू किया था उसके अंतर्गत सौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. 
सहकारिता भाव से आप बहुत कुछ कर लेते हैं.
आज परिवार में सभी लोग समृद्ध हो गये हैं पर वे फोन करने में असमर्थ हैं. वहाँ प्रायः अपने लोग जब कभी मुसीबत में होते थे तो फोन करते थे. उस समय पाठकों के और मित्रों के बहुत से पत्र डाक से आया करते थे. 
मेरी कहानी वापसी में पत्नी पति से कहती है कि क्यों तुम उन लोगों के लिए बक्से भर-भर के सामान ले जाते हो पर तुम्हारे लिए कोई १५ ग्राम का पत्र तक नहीं लिखता।
आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ सभी के लिए एक उदाहरण बने हुए हैं. विदेश में साहित्य और हिंदी सेवा के अलावा विशेष कुछ नहीं कर रहा हूँ. वहाँ लोग अभावों में भी दूसरों की सेवा कर रहे हैं. काश भविष्य में मैं भी असहायों का सहारा बनता।  सन १९९२ में पिताजी की मृत्यु के बाद वहाँ फोन लगवाया और  शराब की दूकान पड़ोस से हटवायी थी जिनके सहयोग से शराब की दूकान हटी हटी वह मित्र अब नयी उ प्र सरकार में समाज कल्याण मंत्री हो बन हैं. श्री सुरेश अवस्थी लखनऊ के मेयर हो गये हैं. दोनों को बधाई और योगी जी को उनके कार्यों के लिए नमन. 
स्व. डॉ  बृजमोहन लाल शुक्ल (वह रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर भी थे, इसलिए डाक्टर भी लिखते थे.) जी चाहते थे. मैं लखनऊ वापस आऊँ और वहां से अखबार निकालूँ।  आज मेरी माँ  और पिताजी की आत्मा बहुत खुश होगी।  

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