शनिवार, 5 नवंबर 2016

ओस्लो में 4 नवम्बर 2016 एक ख़ास दिन. - Suresh Chandra Shukla

ओस्लो में 4 नवम्बर एक ख़ास दिन. 
हेलस्फीर, ओस्लो में शोक सभा और श्री योगेश को अंतिम विदाई  

ओस्लो में ठंडी हवा चल रही थी. रात को गिरी मामूली बर्फ अब भी पेड़ की छाया में खड़ी कारों की छत पर  देखा जा सकता था. हेसफ़ीर, ओस्लो के अंतिम संस्कार वाले चर्च में  सन्नाटा छाया था. चर्च के बड़े कापेल (हाल) में योगेश का पार्थिव शरीर खुले ताबूत में रखा हुआ था उनके मित्र और पंडित जी अपना शोक व्यक्त कर रहे थे और अंतिम विदाई पर महत्वपूर्ण बातें बता रहे थे. सरदार प्रगट सिंह ने बताया कि उनकी मुलाकात श्री योगेश से १५ दिनों पहले हुई थी और सभी कुछ ठीक था.  इन्दर खोसला जी ने बताया कि योगेश जी का सम्बन्ध उनके गाँव से रहा है. 
उन्हें फूल अर्पित कर लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किये।  पहले स्वीडन में फिर ओस्लो, नार्वे में बसे योगेश लखनपाल को कल मित्रों और परिवारजनों ने भावभीनी विदाई दी. 
५७ वर्षीय योगेश जी को कल ४ नवम्बर को अंतिम विदाई देने संबंधी देश विदेश से आये थे. 
योगेश लखनपाल अपने पीछे अपनी पत्नी, बेटी और  दो बेटों को छोड़ गए हैं. 

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