शनिवार, 4 मार्च 2017

Et dikt til politiske ledere i Inida- Suresh Chandra Shukla कभी तो आदमी की खबर ले लो मेरे नेता सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' (उन भारतीय नेताओं से जो अपना फर्ज नहीं निभाते, दो नावों पर सवार हैं)

कभी तो आदमी की खबर ले लो मेरे नेता
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' (उन भारतीय नेताओं से जो अपना फर्ज नहीं निभाते, दो नावों पर सवार हैं)
Jagdish Gandhi and Suresh Chandra Shukla in Oslo
(लखनऊ में सिटी मोंटेसरी स्कूल के जगदीश गांधी नार्वे की पारलियामेंट के सामने ओस्लो में जिनके साथ कभी सन  १९६९ से १९७७ तक बहुत मेलजोल रहा.-सुरेशचंद्र शुक्ल )
 कभी तो आदमी की खबर ले लो मेरे नेता-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
चुनावों का लगा मेला, इन पांच राज्यों में,
चुनावों का सजा ठेला, इन पांच राज्यों में.
पंजाब, मणिपुर, गोवा के अजी क्या कहने,
उत्तराखंड -उत्तर प्रदेश के राज्यों में.

जनता सर्वहारा  -बेसहारा यही जाना।
चुनाव में बटकर हमने तीर क्या मारा?
टोपी, बिल्ला और मुखौटे बिक रहे हैं खूब,
असहिष्णुता से  इंसान,  बेहिसाब है मारा।

अपराधी और धनवान को ही टिकट देकर,
ईमानदारी -वफादारी, का गला घोटा?
जनता - समस्याओं को भुला बैठे ओ नेता!
देश में अमीरों से जो बाजिब कर न लेता?

 जो नेता जान देता था अपने देश भारत पर,
नेता कुछ नहीं देता, सब कुछ ले लेता है।
यह बात उनकी है जो शासन में आते हैं,
राज्य पाकर वे जनता को भूल जाते हैं।

मंदिर में घंटी बजा,  नमाज मस्जिद में पढ़ते.
चुनाव लड़कर वे जनता गुमराह हैं करते।
मंदिर-मस्जिद-राजनीति से  पैसा कमाते.
मोटी रकम वाले मालिक को नहीं डरते हैं?

आदमी जहाँ भूखा वहां गायों पर लड़ते,
गाय-माँस निर्यात से पैसा, कभी बंद न करते
कभी तो आदमी की खबर ले लो मेरे नेता,
शमशान और  कबरों की खबर हर दिन लेते !
ओस्लो, Oslo, 04.03.17

ब्लॉग में आने  के लिए धन्यवाद।

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