शनिवार, 28 अक्तूबर 2017

अविकसित देशों में नौजवान समाज सेवा और धर्म सेवा में आगे आयें। - सुरेशचन्द्र शुक्ल

अविकसित देशों में नौजवान समाज सेवा और धर्म सेवा में आगे आयें।
 - सुरेशचन्द्र शुक्ल 











भारत, उसके आसपास देशों और मध्य एशिया एवं अफ्रीकी देशों में धर्म और क्षेत्रीय समुदायों के नेताओं को धर्म की आड़ लेकर नेता बन रहे हैं जिन्हें जनता की सेवा का कम ध्यान है और मनमानी वाली धर्मांध अमानवीय परम्पराओं का सहारा लेकर शक्ति और अर्थ के लिए कुछ भी कर देते हैं.
इन सभी देशों में पर्यावरण और ट्राफिक समस्या बहुत बड़ी है जिसका एक कारण अशिक्षित नेताओं का नेतृत्व करना, जनता न पढ़ा लिखा होना और जनसंख्या का बढ़ना।
यहाँ अनेक देशों के क़ानून भी धर्म के कारण भेदभाव वाले हैं.
भारत में धार्मिक संस्थाओं से ज्यादा विकास के लिए सभी का श्रमदान से सभी को शिक्षित करने और सड़क, तालाब और स्कूल बनाने का कार्य किया जाना चाहिए।
सहकारिता से खेती भी देशों में भुखमरी कम कर सकती है.
इसके अलावा दूसरा चारा नहीं है यह मुझे लगता है.
धर्म और राष्ट्रभक्ति का हवाला दे रही संस्थाओं को मैंने सड़कों का निर्माण करने में समय देने की जगह पूजा-पाठ और समूहों में एकत्र करके एक मत और विचार के लिए उकसाना और शाबासी देना भर से बचना चाहिये।
भारत में ही यदि आर एस एस जैसी विशाल सामजिक संस्था यदि रोज अपने कार्यकर्ताओं को  भाषण देने की बजाये उनसे सड़क मार्ग का निर्माण में योगदान ले  और स्वयंसेवियों से ट्राफिक में अनुशासन बनाये रखने के लिए कार्य करे तो दूसरी संस्थाएं भी आगे आएंगी।
परिणाम स्वरूप देश में सभी जगह आने.-जाने के मार्ग होंगे और ट्राफिक में मरने वालों की संख्या कम होगी।
इन संस्थाओं द्वारा केवल एक पार्टी को चुनाव जिताने और उनकी बैसाखी बनना  छोड़ दे.
वह समस्त देश के लिए संस्था यदि है तो अन्य राजनैतिक पार्टियों को भी सहयोग दें. पूरे देश के हैं तो पूरे देश के लिए कार्य करें. श्रम करें और करायें। बातों और भाषणों से कुछ नहीं होने वाला।
अन्यथा हम डाल के तीन पात की तरह रहेंगे। कारप्रेटरों का कचरा धोते रहेंगे वे हमको लड़ाकर अपना उल्लू सीधा करते रहेंगे। 
प्रजातंत्र में सभी एक दूसरे का आदर करें और सभी पढ़ना लिखना जानते हों यह बहुत जरूरी है.
धन्यवाद। कृपया आप अपना ध्यान रखियेगा।
कर्मयोगी बनना होगा।
दुनिया के साथ चलना होगा।
जय हिन्द।

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