मंगलवार, 4 मई 2010

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के बहाने- शरद आलोक

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के बहाने- शरद आलोक
एक मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस था। ओस्लो में धूमधाम से बहुत से लोगों ने श्रमिक दिवस मनाया। प्रातः काल ओस्लो में अनेक जगह श्रीमिकों ने नाश्ता साथ किया। कुक्क जगहों पर लोग अपने साथ नाश्ता साथ लाये और कुछ जगहों पर श्रमिक और राजनैतिक संगठनों: श्रमिक पार्टी और सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी जिसका मैं प्रतिनिधि भी हूँ ने कार्यक्रम आयोजित किये। अपने राजनैतिक मुद्दे श्रमिक से जुड़े रक्खे।
बाद में नागर में ग्यारह बजे योंग्स्तोर्वे में एकत्र हुए वहाँ अलग -अलग श्रमिक संगठनों और राजनैतिक पार्टियों के अपने बैनर नारों समेत सर ऊँचा किये हुए श्रमिकों का सर ऊँचा करने में लगे हुए थे।

एरिक सूलहाइम से मुलाकात


बाएं से श्रीलंका मूल के पार्टी के सदस्य साथी सिथी, पर्यावरण और विदेश सहायता मंत्री एरिक सूलहाइम और स्वयं मैं

बाद में सवा दो बजे मैं ग्रोनलांद ओस्लो में रेस्टोरेंट 'दातेरा तिल हागेन' के पीछे हमारी सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी का समारोह था उसमें ओस्लो के नेता पेर और राष्ट्रीय नेता और पर्यावरण और विदेश सहायता मंत्री एरिक सूलहाइम भी आये थे जिनकी वजह से मैं लेबर पार्टी से त्याग पत्र देकर सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी में शामिल हुआ था। तब मैं लेबर पार्टी का बियरके बीदेल में मंत्री था और इंटरनॅशनल फोरम में कार्यकारिणी सदस्य के अलावा इसकी नेट पत्रिका का भी सम्पादकीय सदस्य था।
आज सब कुछ बदल रहा है। एरिक सूलहाइम से मिलकर कुछ राय विमर्श किया। सभी से मिलकर इस दिन की बधाई दी।
मैं फ़ुटबाल खेलते हुए घायल हुआ
२ मई को फ़ुटबाल खेलते हुए मुझे वाइतवेत स्कूल में चोट लग गयी। एक शाट मारने में मेरे दाहिने जांघ पर खिंचाव आया और मैं पीठ के बल बहुत तेजी से गिरा और चोट आ गयी।
अनुराग विद्यार्थी, मित्र कॉल जी और उनकी बेटी करिश्मा जी भी मेरे आमंत्रण पर चोट लगने के बाद आये और हमने साथ चाय पी। पर चोट की गंभीरता तब समझ आयी जब दर्द बढता रहा और तब अर्जुन के साथ डाक्टर /लेगेवक्त ओस्लो गया वहाँ एक्सरे और अन्य टेस्ट हुए ।
कहाँ बहुत सक्रिय था वहाँ बिस्तर पर आ गया आराम करने जो मेरे बस की बात नहीं थी। डॉ की सलाह पर आराम करना पद रहा है और दर्द से निपटना भी। दर्द से निपटना मुझे पहले से आता है पर एक स्थान पर पड़े रहना बहुत दुखद और असहाय सा लगता है।
देखिये कब मिलती है निजाद/ छुटकारा। इस पीड़ा से।
चार मई को बरफबारी


४ मई को आज ओस्लो में बर्फ़बारी देखकर ऐसा लगता है की शीत ऋतू लौट आयी है। हालाँकि यह बरफ टिकने वाली नहीं है, यह मेरा अनुमान है।
जवाहर लाल नेहरु विश्व विद्यालय दिल्ली मेरा पसंदीदा विश्वविद्यालय
जन मानस की कहाँ प्रतिष्ठा
जब वार वाद पर होते हों,
जनता ke pratinidhi par khule aam
vaar sada kyon hote hain?

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