१० अक्टूबर 2011 को कल मुंबई में महान गायक, भारत के प्रसिद्ध पुरस्कार पद्म भूषण (2003) से सम्मानित जगजीत सिंह का देहांत हो गया. उनके दुनिया से विदा होने के बाद उनके जैसे महान गजल गायक और संगीतकार की जो जगह रिक्त हुई है उसकी भरपाई करना असंभव है. अनेकों संस्थाओं को आर्थिक सहयोग करने वाले कलाकार जगजीत सिंह का दुनिया में उनसा कोई और नहीं था.
मेरी पहली और आखिरी मुलाकात
सन 1999 की बात है. लन्दन में छठा विश्व हिंदी सम्मलेन संपन्न हुआ था. वहां पर हिंदी भाषा और साहित्य के विद्वानों के आलावा बहुत सी फ़िल्मी हस्तियां भी मौजूद थीं. लाखनऊ शहर के प्रसिद्ध फिल्म कलाकार सईद जाफरी और एनी लोग भी उपस्थित थे. उन्होंने सम्मलेन में हम लोगों के विचार सुने थे. यहाँ मुझे हिंदी सेवा के लिए गोल्ड मेडल भी दिया गाया था. जगजीत सिंह जी ने शाम को सम्मलेन में अपना कंसर्ट किया था. उनकी अनेक हिंदी की रचनाओं ने हिंदी सम्मलेन में भाग लेने वाले श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया था. वहाँ मेरी उनसे पहली और आखिरी बार मुलाकात हुई थी. वह मिलनसार और एक अच्छे इंसान थे.
उन्होंने अपनी गायकी से 1970 में प्रसिद्धि पाई थी. 1980 में उन्होंने अपनी पत्नी चित्रा सिंह के साथ गाया और विश्व में पति-पत्नी द्वारा गयी गजलों की एलबम को बहुत प्रसिद्धि मिली.
उनके एकमात्र बेटे की मौत 1990 में हो गई थी. तब सदमें में आकर चित्रा सिंह ने गाना छोड़ दिया था. चित्रा सिंह की मृत्यु भी बहुत जल्दी 1991 में हो गयी थी. उन्होंने मुझसे वायदा किया था कि वह हमारे द्वारा चैरिटी यानि सहयोग के लिए अपना कंसर्ट देंगे. आने वाले वर्षों में हमने भी नार्वे में विश्व हिंदी सम्मलेन कराने की योजना थी पर अब जगजीत सिंह कभी नार्वे नहीं आ सकेंगे. उनकी स्मृति में ओस्लो में 15 अक्टूबर 2011 को साहित्य और संगीत प्रेमी एक सभा करने जा रहे हैं. इस ब्लॉग में पता/ स्थान के लिए अवलोकन करते रहें .
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