रविवार, 15 अप्रैल 2018

किस्मत को दोष क्यों दिये जा रहा है, नौजवान होकर भीख क्यों मांग रहा है। -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', Oslo, 15.04.18


किस्मत को दोष क्यों दिये जा रहा है, नौजवान होकर भीख क्यों मांग रहा है।
पालन -पोषण कर सके तो, फिर  परिवार बढ़ाये क्यों चला जा रहा है।।

एक ही हो सन्तान, जीवन आसान,
बेटा हो या बेटी, सब बनेंगे महान।
जब भरपेट भोजन, शिक्षा मिलेगी,
दिल में हों अरमान, रास्ता आसान।।
किस्मत को दोष क्यों दिये जा रहा है,
नौजवान होकर भीख क्यों मांग रहा है।
फावड़ा उठा और कुदाल उठाओ,
काम करने में कभी शर्म खाओ।

बोया नहीं खेतों में अपने, फसल ख्यालों में क्यों काटे जा रहा है।
पालन -पोषण कर सके तो, फिर  परिवार बढ़ाये क्यों चला जा रहा है।।
Oslo, 15.04.18

कोई टिप्पणी नहीं: