रविवार, 8 अप्रैल 2018

मेरे मित्र प्रो वेद प्रकाश वटुक की आत्मकथा प्रकाशित -Suresh Chandra Shukla


मेरे मित्र प्रो वेद प्रकाश वटुक की आत्मकथा प्रकाशित









आज 08.04.18  मेरठ के चेम्बर ऑफ कॉमर्स में सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार चिंतक कवि प्रो वेद प्रकाश वटुक की सद्य प्रकाशित 4 खंडों में प्रकाशित आत्मकथाभटकाव ही पथ बन गए’,’पंचवटी की खोज में’,’देश प्रदेश सब वीराना है’ तथाघर ही कारागार बन गया’ का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम अध्यक्ष डा वेद प्रताप वैदिक, मुख्य अतिथि प्रो जगमोहन सिंह, शहीद भगत सिंह के भांजे, विशिष्ट अतिथि अमृतसर से शिक्षाविद साहित्यकार प्रो हरीश पूरी तथा सान्निधय में डॉ दिनेश चंद्र चमोला, हरिद्वार, डॉ असलम जमशेदपुरी, उर्दू विभागाध्यक्ष मेरठ विश्व विद्यालय, पूर्व राजदूत श्री बाल आनंद, विषय प्रवर्तक डॉ मान सिंह वर्मा पूर्व हिंदी विभाग मेरठ कालेज तथा समाज सेवी श्री धर्म दिवाकर मंच पर आसीन थे। संचालन ग़ज़लकार डा रामगोपाल भारतीय ने किया। लेखक का परिचय कवि सुमनेश सुमन ने तथा सरस्वती वंदना गीतकार मनोज कुमार मनोज ने प्रस्तुत की। सभी वक्ताओं ने प्रो वटुक की लेखन धर्मिता की भूरी भूरी प्रशंसा की। प्रो वटुक को सत्य का अन्वेषी निडर और अक्खड़ कवि बताया। वरिष्ठ कवि श्री कौशल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया

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