1. mai 2011 i Oslo ( På hindi og norsk)
ओस्लो में पहली मई २०११, अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस
आज से अपने मित्रों की सलाह पर अपना ब्लाग हिंदी के साथ-साथ नार्वेजीय भाषा में लिखना शुरू कर दिया है।
ओस्लो में हमेशा की तरह हर वर्ष पहली मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया। श्रमिक परेड में हिस्सा लिया, आपस में बधाई दी और नेताओं के विचार सुने। आज मेरी मुलाकात २६ वर्ष बाद अपनी सहपाठी मित्र आन्ने हेस से हुई जो मेरे ओस्लो विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 'नेशनल कालेज आफ जर्नलिज्म' में पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त कर रही थीं। बातचीत हुई यादें ताजी कीं। मेरे एक अन्य राजनैतिक मित्र ओस्लो विश्वविद्यालय में प्रो क्नुत शेलस्तादली दो वर्ष बाद अपनी पत्नी के साथ मिले जो विश्व के जाने-माने सोशलिस्ट विचारक और इतिहासकार हैं। जब मैं ओस्लो नगर पार्लियामेंट में सं २००३ से २००७ तक सदस्य था तब हम लोगों को अक्सर बैठकों, सेमिनारों और पार्टियों में मिलना होता था। मैं पहले ओस्लो में स्थानीय लेबर पार्टी का बियेर्के क्षेत्र का महामंत्री रह चुका हूँ। बाद में सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी में आया जिससे मैं चुनाव द्वारा चुना गया था। मैं गाँधीवादी विचारधारा का सोशल डेमोक्रेट हूँ। मेरे एक और राजनैतिक मित्र और नार्वे की सबसे बड़ी और सरकार में पार्टी के नेता रुने गेरहार्डसेन से चार वर्ष बाद मुलाकात हुई जिनके पिता नार्वे के प्रधानमंत्री रह चुके हैं जिन्हें नार्वे का राष्ट्रपिता का भी दर्जा हांसिल था और इनकी बेटी मीना नार्वे के प्रधानमंत्री की सलाहकार भी है। रुने गेरहार्डसेन के नेतृत्व में हमने साथ-साथ जर्मनी की राजनैतिक यात्रा की थी जो एक यादगार यात्रा थी। आज जब कार्यक्रम के अन्त में एक रेस्टोरेंट में गया वहाँ मेरी मुलाकात एक टीवी फोटोग्राफर से दोबारा हुई जिन्होंने नार्वेजीय राष्ट्रीय टीवी के लिए मेरा साक्षात्कार शूट किया था। बहुत अच्छा लगा। पुरानी बाते पूना ताजा हो गयीं। इस दिन मुझे भारत के श्रमिकों की बढती तरक्की और संभावना पर अपनी प्रतिबद्धता स्मरण हो आयी। मैंने भी भारत में १६ अक्टूबर १९७२ से २१ जनवरी १९८० तक भारतीय रेलवे के 'सवारी और मालडिब्बे कारखाना' में कार्य किया था। श्रमिक से लेकर, स्किल्ड कारीगर तक और बाद में श्रमिक शिक्षक तक का सफ़र। कार्य करते हुए ही इंटर, बी ए और श्रमिक शिक्षक का अध्ययन भी किया था। इसी के साथ कवितायें और समाचार भी 'स्वतन्त्र भारत समाचार पत्र में छापते रहते थे। समय का अच्छा प्रयोग हो रहा था। अतीत की बातें वर्तमान में प्रवेश करते हुए भविष्य की ओर प्रस्थान कर चुकी हैं। आज श्रमिक दिवस पर सब याद है और भविष्य में अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हुआ हूँ अब लेखन के जरिये अपनी प्रतिबद्धता निभा रहा हूँ।
Marianne Borgen, Libe Rieber Mohn og Vestvik i midten
Fra venstre en Ap-representant, Fru Gerhardsen, Jan Bøler, Suresh Shukla og Rune Gerhardsen på Yongstorget i Oslo
Det var strålende dag med sol og sommer. Det var forsatt litt kaldt men deilig. Det var tusenvis mennesker som gikk på 1. mais tog og markerte den internasjonale arbeidsdagen. Arbeid, sysselsetting og økonomisk stabilitet er de viktigste kampsakene for norsk fagbevegelse i dag og flere av parolene var preget av disse budskapene på 1. mais markering i dag på Youngs torget i Oslo.
Libe Rieber-Mohn holdt appell på Youngstorget
Oslo Aps byrådslederkandidat Libe Rieber-Mohn holdt appell på Youngstorget 1. mai. Hun sa at alle sykehjem som i dag drives av private selskaper, skal bli overført til offentlig drift, dersom de rødgrønne får flertall i Oslo bystyre etter valget.
Hun sa videre at høyresiden har vært en bremsekloss i arbeidet for et mer anstendig arbeidsliv. Det er mer overtid, flere midlertidige ansettelser og det er framfor alt privatisering for enhver pris, som et prinsipp og et mål i seg selv, sa Oslo Aps byrådslederkandidat.
Jeg møte gamle venner på Youngstorget
Anne Hess og Suresh Chandra Shukla
Jeg har møtt min gamle kollega Anne Hess etter 26 år. Det var gledelig å trffe henne og Knut Kjelstadli. Anne Hess og jeg gikk på Norsk Journalisthøgskole på Frysjaveien i Oslo i 1985. Og Knut Kjelstadlig og jeg var tidligere aktive i politikken for SV og Arbeiderparti i Olso.
Jeg har møtt også Rune Gerhardsen og han var sammen med sin kone og Jan Bøhler. Rune Gerhardsen var leder av Miljø og transport komite i Bystyre i Oslo hvor jeg var vara medlem og vi reiste sammen til Tyskland.
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